जानें क्या है EVM, भारत में सबसे पहले कहां हुआ इस्तेमाल, उठ रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
punjabkesari.in Sunday, Apr 28, 2024 - 01:52 PM (IST)
यूपी़ डेस्क:इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन जिसे ईवीएम भी कहा जाता है। इलेक्ट्रॉनिक साधनों का प्रयोग करते हुए वोट डालने या वोटों की गिनती करने के कार्य को करने में सहायता करती है। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में ईवीएम के उपयोग से मतदान से लेकर मतगणना तक चीजें आसान हो गई हैं। इतना ही नहीं, ईवीएम ने चुनाव करवाने का खर्च भी बहुत हद तक कम कर दिया है। हमारे देश में सालोभर कहीं ना कहीं चुनाव होते ही रहते है इस कारण भी ईवीएम का महत्व काफी बढ़ गया है। अभी नी हमारे देश में ईवीएम के दूसरे संस्करण का उपयोग हो रहा है जिसकी क्षमता पहले संस्करण के मुकाबले काफी ज्यादा है। आइए जानते है ईवीएम के बारे में महत्वपूर्ण सवालों के जवाब-
एक मशीन में होती हैं दो इकाइयां
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) चोट रिकॉर्ड करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में दो इकाइयां होती है- एक नियंत्रण इकाई और दूसरी मतदान इकाई जो पांच मीटर की कैबल नियंत्रण से जुड़ी होती है। कंट्रोल यूनिट को पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखा जाता है जबकि वोटिंग यूनिट को वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है।
ईवीएम में कितने उम्मीदवारों के नाम हो सकते हैं रिकॉर्ड
वर्ष 2006 से 2010 तक एम 2 ईवीएम उपयोग किए जाते थे। उस ईवीएम में नोटा सहित अधिकतम 64 उम्मीदवारों के नाम डाले जा सकते थे। एक बैलेटिंग यूनिट में 16 उम्मीदवारों के नाम डाले जाने की सीमा है। यदि उम्मीदवारों की कुल संख्या 16 से अधिक है, तो एक बैलॉटिंग यूनिट जोड़ दिया जाता था। इस तरह एम ईवीएम में अधिकतम 4 बैलॉटिंग यूनिट जोड़कर ज्यादा से ज्यादा 64 उम्मीदवारों के नाम दर्ज किए जा सकते थे। हालांकि, वर्ष 2013 से एम 3 ईवीएम का उपयोग होने लगा जिसमें चार की जगह अधिकतम 24 बैलॉटिंग यूनिट जोड़े जा सकते हैं। यानी अब 384 उम्मीदवारों तक के नाम दर्ज किए जा सकते हैं।
क्या है वीवीपेट वीवीपैट?
एक तरह की मशीन होती है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ जोड़ा जाता है। इस व्यवस्था के तहत मतदाता द्वारा वौट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है। इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न। छपा होता है। यह व्यवस्था इसलिए है ताकि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोटों के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके। ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकेंड तक दिखाई देती है। इसे डिजायन करने का श्रेय भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने को जाता है। जिन्होंने साल 2013 में इसे तैयार किया था।
इस्तेमाल कब और कहां हुआ था?
भारत में ईवीएम का उपयोग पहली बार वर्ष 1982 में केरल के (70) परूर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था। निर्वाचन आयोग द्वारा उपयोग की जा रही एक ईवीएम अधिकतम 2,000 वोट रिकॉर्ड कर सकती है।
क्या है खासियत?
यदि कोई शख्स चुनाव के दौरान वीवीपैट की पर्ची में अपने द्वारा किसी अलग उम्मीदवार का नाम आने की बात करता है, तो चुनाव अधिकारी उस मतादाता से पहले एक हलफनामा भरवाते हैं। इसके तहत मतदाता को बताया जाता है कि सूचना के गलत होने उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT वेरिफिकेशन की मांग वाली याचिकाओं को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया है। बैलेट पेपर की मांग को लेकर दर्ज याचिका भी खारिज कर दी है। कोर्ट के इस फैसले से ईवीएम के जरिए डाले गए वोट की वीवीपैट की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि बगैर सबूत के बार-बार तथा लगातार संदेह जताए जाने से अविश्वास पैदा करने के नुकसानदेह प्रभाव पड़ सकते हैं। न्यायालय ने कहा, हमारा मानना है, ईवीएम सुरक्षित और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल है। ईवीएम को हैक करने या इसमें हेरफेर करने या नतीजों को बदलने की संभावना नहीं है।