15 जनवरी को क्यों मनाई जाएगी मकर संक्रांति? जानिए सही तिथि और शुभ मुहूर्त, ये करें दान

punjabkesari.in Saturday, Jan 14, 2023 - 12:51 PM (IST)

हिंदू सनातन धर्म में मकर संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।देश के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को कई नामों से जाना जाता है, जैसे उत्तरायण, पोंगल, खिचड़ी, आदि। मकर संक्रांति का त्योहार पहले 14 जनवरी को मनाया जाता था। अब पिछले कुछ वर्षों से मकर संक्रांति की तिथि (14 जनवरी या 15 जनवरी) को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। कुछ लोग पुरानी मान्यताओं या कहें तिथि के हिसाब से 14 जनवरी को मकर संक्रांति मना रहे हैं, तो कुछ लोग 15 जनवरी को ये त्योहार मना रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि कौन सी तिथि सही है और क्यों?
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वर्ष 2008 से 2080 तक मकर संक्राति 15 जनवरी को होगी। विगत 72 वर्षों से (1935 से) प्रति वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़ती रही है। 2081 से आगे 72 वर्षों तक अर्थात 2153 तक यह 16 जनवरी को रहेगी। ज्ञातव्य रहे, कि सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश (संक्रमण) का दिन मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। इस दिवस से, मिथुन राशि तक में सूर्य के बने रहने पर सूर्य उत्तरायण का तथा कर्क से धनु राशि तक में सूर्य के बने रहने पर इसे दक्षिणायन का माना जाता है। सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनिट विलम्ब से होता है। स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षो में पूरे 24 घंटे का हो जाता है।
यही कारण है, कि अंग्रेजी तारीखों के मान से, मकर-संक्रांति का पर्व, 72 वषों के अंतराल के बाद एक तारीख आगे बढ़ता रहता है। विशेष:- यह धारणा पूर्णतः भ्रामक है, कि मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को आता है।
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स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करने का विधान 
इस दिन नदी के तट पर स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। ऐसा करने से इंसान की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। साथ ही मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं और इसी से देवताओं के दिन शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है और शादी-विवाह जैसे शुभ व मांगलिक कार्यों पर लगी रोक भी हट जाती है।

मकर संक्रांति में स्नान दान का है खास महत्व

● सभी संक्रांति पर तीर्थस्थलों पर स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। लेकिन अगर आप वहां जाने में असमर्थ हैं तो इस दिन घर पर ही सामान्य पानी से स्नान करना चाहिए । संभव हो तो उस जल में थोड़ा सा पवित्र नदियों का जल मिलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है और उसे धन की कोई कमी नहीं होती।
● कहते हैं संक्रांति से एक दिन पूर्व व्यक्ति को केवल एक बार मध्याहन में भोजन करना चाहिए। वहीं संक्रांति के दिन दांतों को साफ करके जल में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए या स्नान से पहले तिल का तेल या तिल का उबटन लगाना चाहिए। 
● संक्रांति के दिन दान दक्षिणा या धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। कहा भी गया है- 'माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम। स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥'
● इस दिन व्यक्ति को किसी गृहस्थ ब्राह्मण को भोजन या भोजन सामग्रियों से युक्त तीन पात्र देने चाहिए और संभव हो तो यम, रुद्र और धर्म के नाम पर गाय का दान करना चाहिए। यदि किसी के बस में ये सब दान करना नहीं है, तो वह केवल फल का दान करें, लेकिन कुछ न कुछ दान जरूर करें। 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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