UPSC में 2 बार फेल, पर ठगी में मास्टर...पत्नी इंजीनियर, पिता रिटायर्ड डॉक्टर; फर्जी IAS सौरभ त्रिपाठी की मायावी दुनिया का पर्दाफाश

punjabkesari.in Friday, Sep 05, 2025 - 04:29 PM (IST)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस, प्रशासन और सिस्टम की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खुद को IAS अफसर बताने वाला सौरभ त्रिपाठी असल में न तो किसी सरकारी पद पर था, न ही UPSC पास किया था – बावजूद इसके, उसका रसूख और रुतबा ऐसा कि अफसर भी भ्रमित हो गए। वह फॉर्च्यूनर से चलता था, लाल-नीली बत्तियां लगवाता था, गाड़ियों पर ‘भारत सरकार’ और ‘उत्तर प्रदेश शासन’ के फर्जी पास लगाए जाते थे। उसके साथ एक वर्दीधारी ‘सुरक्षाकर्मी’ भी चलता था। जब वजीरगंज पुलिस ने इसे कारगिल शहीद पार्क के पास एक चेकिंग के दौरान पकड़ा, तो खुलासों का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ जिसने पूरे प्रशासन को हिला दिया।

चमक-धमक में छिपा फरेब
सौरभ त्रिपाठी का रहन-सहन किसी उच्चाधिकारी से कम नहीं था। लखनऊ के पॉश इलाके गोमतीनगर विस्तार के शालीमार वन वर्ल्ड सोसाइटी में वह ऐसे रहता था जैसे कोई सीनियर ब्यूरोक्रेट हो। फॉर्च्यूनर, डिफेंडर, मर्सिडीज और इनोवा सहित छह गाड़ियों का काफिला, गाड़ियों पर फर्जी पास, और सोशल मीडिया पर खुद को IAS प्रोजेक्ट करने वाली पोस्ट – इन सबने उसे असल अधिकारी की तरह पेश किया। उसने कथावाचक प्रेमभूषण महाराज से लेकर कई मंत्रियों और अफसरों के साथ तस्वीरें खिंचवाई और अपने ट्विटर हैंडल (@Saurabh_IAAS) पर पोस्ट कीं, ताकि उसका झूठ मजबूत हो।

कैसे करता था ठगी?
सौरभ अलग-अलग राज्यों में अपनी पहचान भी अलग रखता था। उत्तर प्रदेश में वह खुद को विशेष सचिव (राज्य सरकार) बताता, तो दिल्ली व उत्तराखंड में संयुक्त सचिव (भारत सरकार) बन जाता। फर्जी NIC ईमेल आईडी, नकली पास और विजिटिंग कार्ड के जरिए वह सरकारी कार्यक्रमों में एंट्री पाता था। वह अधिकारियों पर रौब डालता, बैठकों में शामिल होता, लोगों को काम कराने का झांसा देकर पैसे लेता और यहां तक कि कारोबारियों से महंगे गिफ्ट भी हासिल करता था।

ऐसे हुआ पर्दाफाश
मंगलवार देर रात लखनऊ के वजीरगंज थाने की पुलिस ने कारगिल शहीद पार्क के पास वाहन चेकिंग में उसकी फॉर्च्यूनर को रोका। गाड़ी में लगी बत्तियों और सचिवालय पास ने पुलिस को संदेह में डाला। जब सौरभ ने खुद को IAS बताकर अधिकारियों के नाम गिनाने शुरू किए, तब इन्स्पेक्टर राजेश त्रिपाठी ने सख्ती दिखाई और पूछताछ में असलियत सामने आ गई।

उसके पास से बरामद हुआ:

  • आठ बैंक कार्ड (विभिन्न नामों से)
  • फर्जी पहचान पत्र
  • सचिवालय पास
  • NIC का नकली मेल आईडी
  • डायरी और ₹11,000 नकद


UPSC फेल, पर ठगी में मास्टर
सौरभ त्रिपाठी मऊ जिले का निवासी है, पिता रिटायर्ड डॉक्टर और पत्नी इंजीनियर हैं। खुद ने कंप्यूटर साइंस से B.Tech किया और CDAC (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग) में जॉइंट डायरेक्टर रह चुका है। वहीं से उसे मिली सरकारी ईमेल आईडी जिसका गलत इस्तेमाल शुरू हुआ। दो बार UPSC में असफलता के बाद उसने 'फर्जी IAS' बनने का रास्ता चुना। उसके दिल्ली, नोएडा और लखनऊ में ठिकाने मिले हैं। पुलिस को संदेह है कि उसके पीछे एक संगठित फर्जीवाड़ा गिरोह काम कर रहा है।

प्रशासन के लिए चेतावनी
सौरभ जैसे शातिर जालसाज़ कैसे सरकारी बैठकों में पहुंचते हैं? कैसे पास, मेल आईडी और सिक्योरिटी मैनजमेंट की इतनी बड़ी चूक हो सकती है? यह सवाल प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं। पुलिस आयुक्त (पश्चिमी) विभूति श्रीवास्तव के अनुसार, विस्तृत जांच शुरू की गई है और साइबर सेल को भी लगाया गया है।


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Content Editor

Mamta Yadav

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