भतीजे की शादी और अदालत की पेशी एक ही दिन… क्या मौलाना तौकीर रजा को मिलेगी रिहाई या रहेंगे जेल में?

punjabkesari.in Sunday, Oct 26, 2025 - 03:25 AM (IST)

Bareilly News: 28 अक्टूबर का दिन आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां के परिवार के लिए बेहद अहम होने वाला है। उसी दिन जहां उनके भतीजे मुफ्ती फैज रजा अजहरी की शादी का आयोजन है, वहीं मौलाना की अदालती पेशी भी तय है। इस वजह से परिवार और समर्थकों के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि क्या मौलाना शादी में शामिल हो पाएंगे या पेशी के बाद सीधे फतेहगढ़ जेल लौट जाएंगे। फिलहाल मौलाना तौकीर रजा 26 सितंबर को बरेली हिंसा की साजिश रचने के आरोप में जेल में बंद हैं। पुलिस ने उन्हें इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता बताया है।

26 सितंबर की हिंसा से शुरू हुई विवाद की कड़ी
26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर को लेकर प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन हिंसक हो गया — पुलिस पर पथराव, फायरिंग और दुकानों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस का आरोप है कि यह उपद्रव मौलाना तौकीर रजा के इशारे पर हुआ था।  जांच में खुलासा हुआ कि उपद्रवियों में स्थानीय ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल और बिहार से आए लोग भी शामिल थे। पुलिस ने कुल 10 मुकदमे दर्ज किए, जिनमें से 7 में तौकीर रजा का नाम शामिल है।

फतेहगढ़ जेल से हो रही पेशी, परिवार में खुशी के बीच चिंता
मौलाना की पिछली पेशी 14 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई थी। संभावना है कि 28 अक्टूबर की पेशी भी ऑनलाइन ही कराई जाए। लेकिन परिवार चाहता है कि मौलाना को शादी में शामिल होने की अनुमति दी जाए। मौलाना के भाई तौसीफ रजा खां के बेटे की शादी की तैयारियाँ जोरों पर हैं, परंतु तौकीर रजा की गैरमौजूदगी से घर में मायूसी है। परिवार कानूनी तरीकों से उनकी अस्थायी रिहाई (पैरोल) की कोशिश कर रहा है।

निदा खान के गंभीर आरोपों से मामला फिर गर्माया
इस बीच, आला हजरत खानदान की बहू और समाज सेविका निदा खान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर मौलाना तौकीर रजा पर विदेशी फंडिंग और भड़काऊ भाषणों का आरोप लगाया है। निदा ने कहा कि तौकीर रजा को मॉरीशस और पड़ोसी देशों से फंडिंग मिलती है और उनके मदरसों की फंडिंग की जांच होनी चाहिए। निदा खान ने यह भी कहा कि उन्हें लगातार धमकियाँ मिल रही हैं और उन्होंने इसकी शिकायत एक्स (ट्विटर) पर की है। गौरतलब है कि निदा खान तीन तलाक पीड़ित महिलाओं की आवाज़ हैं और आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी के माध्यम से सामाजिक कार्य कर रही हैं।

28 अक्टूबर बनेगा निर्णायक दिन
अब सबकी निगाहें 28 अक्टूबर पर टिकी हैं — क्या अदालत मौलाना को रिहाई की अनुमति देगी या उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा? पुलिस और प्रशासन इस पर चुप हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह दिन कानूनी और सामाजिक दोनों मोर्चों पर चर्चा का केंद्र बनने वाला है।


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Content Editor

Mamta Yadav

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