दुर्दशा: सातवें अजूबे ताजमहल के गुंबद से टूटकर गिर रहे पत्थर

punjabkesari.in Thursday, Jul 20, 2017 - 02:01 PM (IST)

आगरा: दुनिया के 7 अजूबों में शामिल और विश्व विरासत स्मारक ताजमहल के पत्थर दरक रहे हैं। मुख्य गुंबद का हाल सबसे बुरा है। लम्बे समय से संरक्षण कार्य न होने के कारण यहां की छतों की रौनक भी खत्म होती जा रही है। जानकारी मुताबिक पत्थरों के गिरने के कारण ताज देखने के लिए दुनिया भर से आने वाले सैलानी भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। ताजमहल में सैलानियों को परेशानी से बचाने के लिए भले ही पुरातत्व विभाग ने नई व्यवस्था को लागू कर दिया हो लेकिन तैयारी आधी-अधूरी होने के कारण ताजमहल देखने आने वाले सैलानियों के सिर पर खतरा मंडराने लगा है।

मुख्य गुंबद में प्रवेश करने वाले हिस्से में कई जगह पत्थर टूट गए हैं। कुछ गिरने के कगार पर हैं। यहां की दीवारों पर की गई मुगलिया पच्चीकारी भी टूट गई है। इनको नए सिरे से ठीक करने के लिए विभाग द्वारा संरक्षण कार्य नहीं करवाया गया।बाहर से देखने में भले ही मुख्य गुंबद आकर्षक लगता हो लेकिन अंदर के हाल काफी खराब हैं। इन टूटे पत्थरों के कारण दुनिया भर में बदनामी हो रही है। सैलानी इन टूटे और झड़ रहे पत्थरों की तस्वीर अपने कैमरों में कैद कर व्यवस्था का उपहास उड़ा रहे हैं।

सातवां अजूबा ताज
1652 में बनकर तैयार हुआ था ताजमहल।
- 320 लाख रुपए खर्च हुए थे ताजमहल के निर्माण पर।
- 100 अरब रुपए होती कीमत अगर अब निर्माण करवाया जाता तो।
- 20 हजार कारीगरों ने बनाया था ताजमहल।
- 2 करोड़ रुपए लगभग संरक्षण के लिए रहता है बजट।
- 55.50 लाख प्रतिवर्ष ताजमहल देखने आते हैं भारतीय।
- 6.70 लाख प्रतिवर्ष ताजमहल देखने आते हैं विदेशी पर्यटक।
- 1983 में यूनेस्को ने घोषित किया था विश्व विरासत स्मारक।


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