चौंकाने वाला खुलासा: 17 साल तक महिला के पेट में कैद रही कैंची, एक्सरे ने लापरवाह डॉक्टरों की खोली पोल
punjabkesari.in Saturday, Mar 29, 2025 - 09:15 AM (IST)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक महिला के पेट में 17 साल पहले हुए सीजेरियन ऑपरेशन के दौरान कैंची छूट गई थी। यह घटना हाल ही में तब सामने आई जब महिला का एक्सरे कराया गया और रिपोर्ट में पेट में कैंची की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
जानिए, क्या है पूरा मामला?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह मामला इंदिरानगर निवासी महिला से जुड़ा है। महिला के पति अरविंद कुमार पांडेय कोऑपरेटिव सोसाइटी पंचायत लेखा परीक्षा उपनिदेशक हैं। अरविंद कुमार पांडेय ने बताया कि 26 फरवरी 2008 को उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर इंदिरानगर के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने सीजेरियन ऑपरेशन किया और महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। लेकिन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही से एक कैंची पेट में ही छूट गई, जिसका उन्हें कुछ नहीं पता चला।
एक्सरे से खुली डॉक्टरों की लापरवाही
बताया जा रहा है कि इसके बाद से महिला को लगातार पेट दर्द की समस्या होती रही। महिला ने कई डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कई सालों तक महिला को यह समस्या रही और उन्हें मानसिक व शारीरिक कष्ट झेलने पड़े। हाल ही में एक एक्सरे कराया गया, जिसमें पेट में कैंची का पता चला। इसके बाद महिला को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में भर्ती कराया गया।
नर्सिंग होम के डॉक्टर के खिलाफ गाजीपुर पुलिस स्टेशन में दी है तहरीर
26 मार्च को KGMU के डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी की और सफलतापूर्वक कैंची को महिला के पेट से निकाल लिया। KGMU के प्रवक्ता सुधीर सिंह ने बताया कि महिला के पेट में कैंची थी, जिसे ऑपरेशन के जरिए सफलतापूर्वक निकाला गया। अब महिला की हालत स्थिर है और उसे घर भेज दिया गया है। वहीं अरविंद कुमार पांडेय ने आरोप लगाया कि इस लापरवाही के कारण उनकी पत्नी को 17 साल तक शारीरिक और मानसिक कष्ट झेलना पड़ा। उन्होंने नर्सिंग होम के डॉक्टर के खिलाफ गाजीपुर पुलिस स्टेशन में तहरीर दी है।
तहरीर के आधार पर पुलिस ने शुरू की मामले की जांच
वहीं गाजीपुर पुलिस ने इस मामले में तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी है। यह घटना चिकित्सा क्षेत्र में लापरवाही का गंभीर उदाहरण पेश करती है और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि पुलिस जांच में क्या खुलासा होता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।