इस्लाम मानने वाले को लिव-इन में रहने का आधिकार नहीः हाईकोर्ट

punjabkesari.in Thursday, May 09, 2024 - 12:07 PM (IST)

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति व हिन्दू लड़की की लिव-इन रिलेशन में रहने के दौरान सुरक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि इस्लाम को मानले वाले को लिव-इन में रहने का अधिकार नहीं है, विशेषतः जब वह शादीशुदा हो और उसकी पत्नी या पति जीवित हो। न्यायालय ने कहा कि रूढ़ियाँ व प्रथाएं भी विधि का समान स्रोत हैं और संविधान का अनुच्छेद 21 ऐसे रिश्ते के अधिकार को मान्यता नहीं देता जो रूढ़ियों व प्रथाओं सेप्रतिबंधित हो। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने लड़की को उसके माता-पिता के पास पहुंचाने का आदेश पुलिस को दिया है।

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कोर्ट ने कहा, रूढ़ियों व प्रथाएं भी हैं विधि का समान स्रोत
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने उक्त व्यक्ति व युवती की याचिका पर पारित किया। याचियों का कहना था कि वे बालिग हैं और अपनी मर्जी से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं, बावजूद इसके युवती के भाई द्वारा मामले में अपहरण का आरोप लगाते हुए, बहराइच के विशेश्वरगंज थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई है।

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 न्यायालय ने पाया कि याचिका में इस तथ्य का उल्लेख 
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि याचिका में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि याची शादाब खान पहले से शादीशुदा है व उसकी पाँच साल की एक बेटी है लेकिन साथ ही यह भी लिखा कि उसने छह माह पहले अपनी पहली बीवी को तीन तलाक दे दिया है। न्यायालय ने यह भी पाया कि वर्तमान याचिका के पहले भी. एक याचिका इन्हीं याचियों की ओर से दाखिल की गई थी, जिसे 25 अप्रैल को एफआईआर दर्ज हो जाने के कारण वापस ले लिया गया था।


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Content Writer

Ajay kumar

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