18 साल बाद निठारी कांड का आरोपी सुरेंद्र कोली रिहा, सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी…पीड़ित परिवारों में गुस्सा
punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 04:02 AM (IST)
Greater Noida: देश को झकझोर देने वाले निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को 18 साल बाद लुक्सर जेल से रिहा कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषमुक्त ठहराए जाने के बाद बुधवार को जेल प्रशासन ने उनकी रिहाई की प्रक्रिया पूरी की। जेल से बाहर आने पर मीडिया ने उनसे सवाल पूछने की कोशिश की, लेकिन कोली ने किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब वह आज़ाद हैं, लेकिन पीड़ित परिवारों में नाराजगी और निराशा साफ झलक रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की सजा, आदेश दी रिहाई की
बीते मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कोली की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार करते हुए उनकी सजा को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि साक्ष्य पर्याप्त नहीं थे, इसलिए कोली को तुरंत रिहा किया जाए। कोली के खिलाफ यह निठारी कांड से जुड़ा आखिरी केस था। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में उन्हें राहत दी थी।
2006 का निठारी हत्याकांड- जिसने हिला दिया था देश को
दिसंबर 2006, नोएडा सेक्टर-31 की कोठी नंबर D-5 से भयावह सच सामने आया। कोठी और आसपास के नाले से दर्जनों इंसानी कंकाल और शरीर के अंग बरामद हुए। इनमें कई छोटे बच्चों और युवतियों के अवशेष शामिल थे। पुलिस ने कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया। जांच CBI को सौंपी गई, और देशभर में यह मामला “निठारी कांड” के नाम से कुख्यात हो गया।
“अगर पंढेर और कोली ने नहीं मारा, तो किसने मारा?” – पीड़ित परिवारों की चीख
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निठारी के पीड़ित परिवार हताश और आक्रोशित हैं। 8 वर्षीय पूजा की मां शांति पूछती हैं, “अगर हमारी बेटियों को पंढेर और कोली ने नहीं मारा, तो फिर किसने मारा?” कई परिजनों का आरोप है कि कोठी में विदेशी डॉक्टरों की मदद से मानव अंगों की तस्करी होती थी। वे कहते हैं कि “हमें सिर्फ बच्चों के सिर और पैर मिले, बाकी शरीर कभी नहीं मिला।”
वकील बोले- “CBI ने शुरुआत से गलत दिशा में जांच की”
पीड़ित परिवारों की ओर से पैरवी करने वाले वकील खालिद खान ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आश्चर्य नहीं हुआ। उनका आरोप है कि “CBI ने शुरुआत से ही कमजोर जांच की और मोनिंदर पंढेर को बचाने की कोशिश की। कोली के बयान के आधार पर पूरी कहानी गढ़ी गई। जब साक्ष्य अदालत में टिक नहीं पाए, तो सभी आरोपित बच निकले।”
न्याय की उम्मीद अब भी अधूरी
निठारी कांड के 96 से अधिक पीड़ित परिवार अब भी इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे हैं। “हमने अपनी बेटियों की लाशें नहीं देखीं, सिर्फ हड्डियां मिलीं,” एक परिजन ने कहा। कोर्ट के आदेश के बाद हालांकि कानून ने कोली को निर्दोष माना है, लेकिन लोगों के दिलों में सवाल अब भी बाकी हैं।

