चैत्र नवरात्र के बाद विन्ध्याचल धाम का किया गया शुद्धिकरण,  श्रद्दालुओं का लगा तांता

punjabkesari.in Sunday, Apr 01, 2018 - 05:01 PM (IST)

मिर्जापुरः- चैत्र नवरात्र के बाद आदिशक्ति विन्ध्याचल धाम का शुद्धिकरण वैसाख मास में गंगा जल से किया गया। घंटे-घड़ियाल, शंख, नगाड़ा व शहनाई की मधुर ध्वनि से पूरा विंध्यधाम गुंजायमान हो उठा। हजारों की तादात में भक्त गंगा के पवित्र जल को घड़े में भर कर मंदिर के समस्त देवी देवताओं का अभिषेक कर निकासी में शामिल हुए। भक्तों ने मंदिर को धोने के साथ ही पूरे धाम की सफाई की। अर्ध रात्रि में दुष्ट  आत्माओं को भगाने के लिए देवी की आराधना की। वहीं नवरात्र में तंत्र साधना के दौरान आई तमाम योगिनी की विदाई सविधि पूजन अर्चना के साथ बलि चढ़ाकर की गई।

यह है मान्यता 
मान्यता यह है कि मंदिर का शुद्धिकरण करने व भुत प्रेत व योगिनी की विदाई करने के लिए निकासी करने से दुष्ट आत्माओं से मुक्ति और आपदाओं से छुटकारा मिलता है। विंध्यवासिनी का धाम आदिकाल से साधकों के लिए सिद्धपीठ रहा है। माता के दरबार में तंत्र-मन्त्र के साधक आकर साधना में लीन होकर माता रानी की कृपा पाते है।  
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की जाती है विशेष पूजा अर्चना 
साधना के दौरान साधक धाम में भूत-प्रेत ,लंकिनी-डंकिनी व योगिनी का आहवान करते हैं। मेला ख़त्म होने के बाद विन्ध्याचलवासी माता के धाम की गंगा जल से धुलाई करते है। अनादि काल से चली आ रही परम्परा के तहत भक्त घड़ा की पूजा करने के बाद गंगा स्नान करते हैं। माता के धाम में आस्था से विभोर भक्तों का घड़े के साथ तांता लग जाता है। माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पूजा के बाद निकासी करके यहां दुष्ट आत्माओं का शमन किया जाता है।
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सभी समुदाय के लोग होते शामिल 
वैशाख मास के पहले दिन रात भर होने वाले पूजा में विन्ध्याचल क्षेत्र के सभी समुदाय के लोग शामिल होते हैं। नगाड़ा, शहनाई की धुन के साथ भक्त माता की आराधना कर कुशलता की कामना करते हैं। विन्ध्याचल में होने वाले गुप्त पूजन समस्त भक्तों के लिए परम कल्याणकारी है।


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ruby

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