बागी विधायकों पर एक्शन की तैयारी में अखिलेश, सदस्यता खत्म कराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को दे सकती है आवेदन

punjabkesari.in Friday, Jul 26, 2024 - 12:45 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा प्रमुख अखिलेश यादव विधान उपचुनाव से पहले बड़े एक्शन में नजर आ रहे है। दरअसल, दलबदल विरोधी कानून के आधार समाजवादी पार्टी के बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए सबूत जुटा रहे हैं। जिससे बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त हो सके। आप को बता दें कि मनोज पांडेय, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल, राकेश पांडे, आशुतोष मौर्या ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी इसके बाद इन विधायकों को पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे थे। 

माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में सभी विधायक भाजपा में शामिल हो जाएंगे लेकिन वह नहीं शामिल हुए। हालांकि अखिलेश यादव ने बागियों को लेकर ही रेड लाइन खीच दी है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि बागियो को जो पार्टी में शामिल करने की बात करेगा उसके भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव इन विधायकों को अब पार्टी में लेने के मूड में नहीं हैं. इतना ही नहीं जरूरत पड़ी तो पार्टी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकती है. इसके लिए विधिक राय भी ली जा रही है।

 क्या है दलबदल कानून
भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में दलबदल विरोधी कानून दिया गया है। यह 30 जनवरी 1985 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। इसे 31 जनवरी 1985 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था।  अगर हम दलबदल कानून की बात करें तो दल बदल की स्थिति तब होती है जब किसी भी दल के सांसद या विधायक अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ते हैं या पार्टी व्हिप की अवहेलना करते हैं। इस स्थिति में उनकी सदस्यता को समाप्त किया जा सकता है और उन पर दल बदल निरोधक कानून भी लागू किया जा सकता है। जिसका उद्देश्य किसी भी विधायक को दंडित करना है जो एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाता है। यह कानून पार्टी बदलने को हतोत्साहित करने सरकारों को स्थिरता प्रदान करता है।


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Ramkesh

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