इलाहाबाद HC के वकील ने किया दावा- गंगाजल से भागेगा कोरोना, ICMR ने लिया प्रेजेंटेशन

punjabkesari.in Friday, May 29, 2020 - 02:12 PM (IST)

प्रयागराजः देश भर में खतरनाक कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। ऐसे में इसे नियंत्रित करने व इसके इलाज के लिए विश्व भर के लैब में काम चल रहा है। वहीं गंगा मामलों के एक्सपर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरुण गुप्ता का दावा है कि गंगाजल में मौजूद बैक्टीरियोफाज तमाम दूसरे वायरसों की तरह कोरोना को भी ख़त्म कर लोगों को इस बीमारी से निजात दिला सकता है। इसे पीकर शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। जिससे कोरोना को मात दी जा सकती है। ICMR ने 30 अप्रैल को उनकी टीम का प्रेजेंटेशन भी लिया था।

ICMR ने लिया है प्रेजेंटेशन
इलाहाबाद HC के सीनियर वकील अरुण गंगा प्रदूषण मामलों में न सिर्फ एमिकस क्यूरी हैं, बल्कि गंगा की बेहतरी के लिए काम करने वाली तमाम सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से भी वह जुड़े हुए हैं। गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिलाने में उनका भी अहम रोल रहा है तो साथ ही प्रस्तावित गंगा एक्ट का ड्राफ्ट भी उन्होंने ही तय किया है। उत्तराखंड से लेकर UP तक गंगा की सूरत बदलवाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती जब गंगा मंत्रालय की मुखिया थीं, तो वह उनके ख़ास सलाहकारों में शामिल थे। अरुण ने अपने इस दावे के पीछे गंगाजल को लेकर दुनिया भर में हुई तमाम खोजों का नतीजा बताया है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की सिफारिश पर इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च इस दावे पर अरुण की टीम का प्रेजेंटेशन भी ले चुकी है। वकील अरुण गुप्ता ने अपने इस दावे को लेकर हाईकोर्ट तक जाने की बात कही है। उनका कहना है कि अगर गंगाजल के ज़रिए कोरोना के खात्मे पर रिसर्च नहीं की जाती है तो वह हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करेंगे।

गंगाजल पिलाकर कोरोना से दिलाई जा सकती है निजात
अरुण बताया कि उत्तराखंड में गंगोत्री से निकले गंगाजल का इस्तेमाल कर शरीर की इम्युनिटी पावर को बढ़ाते हुए कोरोना को हराया जा सकता है। दावा यहीं तक सीमित नहीं है। अगर किसी को कोरोना हो भी गया है तो उसे गंगाजल पिलाकर इस बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है। यानी कोरोना पीड़ितों के इलाज में गंगाजल दवा के तौर पर काम करेगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए पोलैंड युनिवर्सिटी ने साल 2016 में, USA की स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी ने साल 2019 में और भारत के नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट नागपुर ने साल 2007 और 2007 में की गई रिसर्च में यह पाया है कि गंगाजल में तमाम रेडियो एक्टिव एलीमेंट के साथ ही बैक्टीरियो फाज नाम का एक ऐसा वायरस पाया जाता है जो न सिर्फ गंगा के पानी में मौजूद तमाम बैक्टीरिया को ख़त्म करता है, बल्कि इसमें पाए जाने वाले तमाम तरह के दूसरे वायरस को भी नष्ट कर देता है। गंगाजल में ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज़्यादा होती है। इसके साथ ही इसमें पाए जाने वाले कांपर - मैग्नीशियम- कैल्शियम- ज़िंक और फेरस जैसे तत्व शरीर की इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाते हैं।

रिसर्च नहीं होता है तो HC में दाखिल करेंगे अर्जी
बता दें कि इम्युनिटी बढ़ने पर कोरोना का असर न के बराबर हो जाता है। इसके साथ ही बैक्टीरियोफाज सीधे वायरसों पर अटैक कर इसके RNA यानी रोबो न्यूकिक एसिड को चौपट कर देता है। कोरोना भी RNA के क्रिस्टलाइज फ़ार्म में ही रहता है, इसलिए गंगाजल के ज़रिये इसे भी ख़त्म किया जा सकता है। वकील अरुण गुप्ता ने अपने इस दावे को लेकर हाईकोर्ट तक जाने की बात कही है। उनका कहना है कि अगर गंगाजल के ज़रिए कोरोना के खात्मे पर रिसर्च नहीं की जाती है तो वह हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करेंगे।

 

 


 

 


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Author

Moulshree Tripathi

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