अपने ही घर में बेगाने होकर रह गए अमीर खुसरो, अब लोकसभा चुनाव में उनका हक देने की उठ रही मांग

punjabkesari.in Monday, Apr 22, 2024 - 04:52 PM (IST)

कासगंजः "फैली है जिसके इल्म की दुनिया में रोशनी गुमनाम सा लगाता है वो अपने शहर में "उक्त पंक्तियां अमीर खुसरो पर पूरी तरह सत्य साबित होती हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सूफी संत के नाम से पहचान रखने वाले कवि अमीर खुसरो अपनी ही धरा पर बेगाने हो गए हैं। कभी भी नेताओं और अधिकारियों ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। अब लोकसभा चुनाव में खुसरो को भी उनका हक देने की मांग उठ रही है।


इल्म देने वाली शख्सियत को अपनी जमीं पर ही भुला दिया गया
भारतीय साहित्य क्षेत्र में अमीर खुसरो एक जगमागते हुए सितारे हैं। जनपद गंगां युमनी संस्कृति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। कासगंज मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तहसील पटियाली के मोहल्ला किला परिसर में अमीर खुसरों का 27 दिसंबर को जन्म हुआ। खुसरो दुनिया को शायरी, गजल, वाद्ययंत्र, कव्वाली जैसी विधाएं देने वाले शख्स के रूप में पहचाने जाते हैं। लेकिन जनप्रतिनिधियों और शासन द्वारा रुचि न लेने से ऐसी इल्म देने वाली शख्सियत को अपनी जमीं पर ही भुला दिया गया।

जिला प्रशासन ने नहीं ली सुध
जहां खुसरो का जन्म हुआ वह स्थल ही अतिक्रमण का शिकार है। वहीं कुछ प्रशासक ऐसे भी आए जिन्होंने सूफी संत अमीर खुसरो के महत्व को ध्यान में रखते हुए उनकी स्मृति में कुछ कदम भी उठाये, जिसके चलते कस्वा पटियाली में प्रतिवर्ष अमीर खुसरो महोत्सव भी स्थानीय स्तर पर आयोजित किया गया लेकिन कुछ वर्षों बाद उसका आयोजन भी बंद हो गया। वहीं जिला प्रशासन ने भी अमीर खुसरो के नाम से एक पार्क और लाइब्रेरी का निर्माण कराया, परंतु जनप्रतिनिधियों के रुचि न लेने व प्रशासनिक स्तर पर रख रखाव व देखभाल उचित ढंग से न हो पाने के कारण दोनों ही स्मारक अस्तित्वहीन होते चले जा रहे हैं। जिससे खुसरो अपनी ही घरती पर बेगाने से हो गए हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ajay kumar

Recommended News

Related News

static