आनंदीबेन पटेल बोलीं-  ईश्वर हमें बेटी या बेटा जो भी दे उसे स्वीकार करना चाहिये

punjabkesari.in Friday, Sep 30, 2022 - 06:47 PM (IST)

बलरामपुर: उत्‍तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को समाज की विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ''आज भी समाज में बेटी होने पर महिलाओं को दोषी माना जाता है जबकि लड़का या लड़की पैदा होना ईश्वर की देन है। ईश्वर हमें बेटी या बेटा जो भी दे उसे स्वीकार करना चाहिये न कि महिलाओं को गुनहगार बताना चाहिये।'' शुक्रवार को महारानी लाल कुंवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित समारोह में राज्‍यपाल ने गर्भवती महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि महिलाओं को प्रसव अस्पताल में कराना चाहिये ताकि जच्चा-बच्चा दोनों की देखभाल ठीक से हो सके।

नवजात के लिये अमृत के बराबर स्तनपान: पटेले
उन्होंने कहा कि आज भी 16 प्रतिशत महिलाएं अस्पताल में प्रसव नही कराती हैं जिसे ठीक नही माना जा सकता है। पटेल ने कहा, ''हम एक सितम्बर को हर वर्ष स्तनपान दिवस मनाते हैं लेकिन बहुत कम महिलाएं हैं जो अपने बच्चों का स्तनपान कराती है जबकि अगर प्रसव होने के एक घण्टे बाद महिलाएं अपने नवजात को स्तनपान कराए तो यह नवजात के लिये अमृत के बराबर होता है तथा स्तनपान यदि होता रहे तो हमें पोषण दिवस मनाने की आवश्यकता ही न पड़े।''

राज्‍यपाल ने जेल में बंद कैदियों से की मुलाकता 
राज्‍यपाल के बलरामपुर पहुंचने पर पुलिस लाइन में जिलाधिकारी महेन्द्र कुमार और पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश सक्सेना ने स्वागत किया। राज्यपाल ने कृषि उत्पादन मंडी समिति में एफ़पीओ (किसान उत्‍पादक संगठन) केंद्र की शुरुआत की। आनंदी बेन पटेल ने समाज कल्याण, स्वास्थ्य विभाग आदि द्वारा लगाई गई विकास प्रदर्शनी का जायजा लिया। राज्यपाल ने जिला कारागार का भी भ्रमण किया और जेल में बंद विचाराधीन कैदियों से मुलाकात कर उनसे बातचीत की। राज्यपाल आंगनवाड़ी केन्द्र कलवारी भी पहुंची जहां उन्होंने बच्चों और उनके अभिभावकों से मुलाकात की । राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के साथ प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) असीम अरुण भी थे।

5 वी क्लास तक बच्चे अपनी मातृ भाषा मे पढ़ाई करें: आनंदीबेन पटेल
राज्यपाल ने मातृ भाषा की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने काफी सोंच समझकर कर नई शिक्षा नीति लागू की है ताकि 5 वी क्लास तक बच्चे अपनी मातृ भाषा मे पढ़ाई करें । उन्होंने कहा कि जापान , चीन जैसे तमाम देशों में बच्चा अपनी पढ़ाई की शुरुआत मातृ भाषा मे करता है जबकि हमारे यहां बच्चों को अंग्रेजी की पढ़ाई करने पर जोर दिया जाता है । उन्होंने कहा कि हमे सोशल परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।   इसके लिए बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा कराना चाहिए ताकि बच्चे अपराध से दूर रहे । राज्यपाल ने कहा जेल में शिक्षा का एक अहम हिस्सा होना चाहिए ।  जिसने अपराध पर लगाम लगाई जा सके।  


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Content Writer

Ramkesh

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