निकाय चुनाव के मैदान में अतीक-अशरफ पर छिड़ेगा घमासान, इन दो पार्टियों के बीच सीधी टक्कर तय
punjabkesari.in Saturday, Apr 22, 2023 - 09:12 AM (IST)

लखनऊः यूपी में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी राजनीतिक पार्टियां जीत निश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। लेकिन इस चुनाव में दो मुख्य पार्टियां भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी टक्कर तय है। इस सीधी टक्कर के बीच बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2024 से पहले साख बनाने का पुरजोर संघर्ष करेगी। वैसे तो सभी राजनीतिक दल इस चुनाव को गंभीरता से ले रहे हैं, लेकिन 17 नगर निगम कस्बों और नगर पालिका परिषद में लड़ाई दो प्रमुख दावेदारों सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्ष सपा के बीच होने की स्थिति बन रही है। ऐसे में यह भी कहना अतिश्योक्ति न होगी कि ताजा अतीक अशरफ प्रकरण से चुनाव प्रभावित होगा। मुख्य विपक्षी दल के तौर पर सपा जहां इस मसले को लेकर सरकार को जनता की अदालत में खड़ा करेगी वहीं, भाजपा सरकार भी अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का हवाला देकर आम वोटरों को आकर्षित करेगी।
सभी दलों की होगी अग्निपरीक्षा
विधानसभा चुनावों में हार के बाद सपा, कांग्रेस और बसपा जैसी पार्टियों के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का यह अहम अवसर हो सकता है। 403 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने दो और बसपा ने केवल एक सीट जीती थी। इसके मद्देनजर खासकर कांग्रेस और बसपा के लिए यह चुनाव पूरी ताकत लगाने का होगा। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में निकाय चुनाव में बसपा-कांग्रेस के लिए ज्यादा संभावनाएं नहीं दिख रही है लेकिन अगर वह गंभीरता से इस चुनाव को लड़ती हैं तो 2024 से पहले उनकी एक मजबूत जमीन तैयार हो सकती है। रही बात सपा की तो उसके पास यह अवसर भाजपा को मजबूती से ललकारने का है।
2017 के मुकाबले बढ़ी है सपा की सीटों की संख्या
साल 2022 के चुनावों में सपा की सीटों की संख्या 2017 के मुकाबले बड़ी थी। सपा 47 सीटों से बढ़कर 111 सीटों तक पहुंच गई है। सत्तारूढ़ भाजपा अपनी चुनावी नीति के अनुसार शहरी स्थानीय निकाय चुनावों को संजीदगी से ले रही है। भाजपा साल 2014 से राज्य में लोकसभा और उप्र विधानसभा चुनाव जीत रही है। भाजपा ने 2017 और 2022 उप्र विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव जीते हैं। इस बीच, शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए विपक्षी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई तालमेल नहीं दिख रहा है। सपा और रालोद के बीच जहां सीटों को लेकर मतभेद सामने आए। वहीं दूसरी ओर भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के बीच भी सीटों को लेकर खींचतान दिखा। यह माहौल ही बताता है कि, राजनीतिक दल निकाय चुनावों को पूरा महत्व दे रहे हैं क्योंकि यहां से 80 लोकसभा सांसद चुने जाते हैं।
उप्र में दो चरणों में होगा निकाय:
चुनाव आयोग ने 760 स्थानीय निकायों में 14,864 जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए मतदान दो चरणों में 4 मई और 11 मई को होगा। मतगणना 13 मई को होनी है।