कैलाश सत्यार्थी की संस्था बचपन बचाओ आंदोलन ने 14 बंधुआ बाल मज़दूरों को मुक्त कराया

punjabkesari.in Tuesday, Dec 31, 2019 - 11:55 AM (IST)

भदोही :उत्तर प्रदेश का भदोही जिला जो की कालीन के लिए मसहूर है। सरकार ने बाल मजदूरी पर प्रतिबन्ध लगाया है,लेकिन बाल मजदूरी रूकने का नाम नही ले रहा है। इसके लिए सरकार ने अनेक संस्था भी चलाए है। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था बचपन बचाओ आंदोलन ने कालीन नगरी भदोही के एक कालीन कारखाने से 14 बंधुआ बाल मज़दूरों को प्रशासन के साथ मुक्त कराया है। मुक्त कराए गए बच्चे बिहार के अररिया से यहां लाये गए थे।  एक बार फिर बाल कालीन मजदूरों के मिलने से कालीन उद्योग में हड़कम्प है। यहां पहले भी कई बार बंधुआ बाल मजदूर मिले है। खुद कैलाश सत्यार्थी ने अपने आंदोलन की शुरुआत इस क्षेत्र से की थी।  एक बार फिर उनके संस्था द्वारा मुक्त कराए गए बच्चों के बाद माना जा रहा है कि सत्यार्थी फिर वैश्विक स्तर पर इस मुद्दे को हवा दे सकते हैं।
 
गैरतलब है कि भदोही का कालीन उद्योग पूरे विश्व में खूबसूरत कालीनों के लिए पहचाना जाता है।  इन खबसूरत कालीनों के निर्माण में कुछ लालची लोग महज कुछ रुपयों के लिए बच्चों का बचपन छीनने का काम कर रहे है। कालीन उद्योग की तरफ से तमाम दावे किये जाते रहे है।  कालीन उद्योग में अब बाल श्रमिकों का प्रयोग नहीं हो रहा है, लेकिन उसके बाद भी बाल श्रमिक कालीन कारख़ानों से बच्चे मुक्त कराये जा रहे है।  बचपन बचाओ आंदोलन के सहयोग से प्रशासन की टीम ने भदोही कोतवाली क्षेत्र के नई बाजार से एक कालीन कारखाने से बच्चो को मुक्त कराया है। कालीन कारखाने से मुक्त गए सभी बच्चों की उम्र 13 साल से कम बताई जा रही है।  मुक्त कराये गए बाल श्रमिकों के मुताबिक उनसे 11 घंटे तक रोजाना काम कराया जाता था। मजदूरी के रूप में सिर्फ 3500 रुपया महीना ही दिया जाता है।

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इन मासूमो के हाथों को देखकर आप सहज ही अंदाजा लगा सकते है। की इन मासूमो से किस तरह से कालीन की बुनाई का काम लिया जाता था। बच्चो के हाथ और उंगलिया काम करते करते कट तक गई है।  जिसके बाद प्रशासन के सहयोग से कालीन कारखाने में बच्चो को मुक्त कराया गया है। सभी बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत कर मेडिकल समेत अन्य विधिक कार्रवाई की जा रही है।


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Ajay kumar

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