आकर्षण का केंद्र होगा बिजनौर का दशहराः 50 फुट के रावण, 45 फुट के कुंभकरण का होगा दहन

punjabkesari.in Tuesday, Oct 04, 2022 - 05:55 PM (IST)

बिजनौरः दशहरा यानि विजयादशमी, जिसका मतलब विजय का दिन होता है। इस दिन ही भगवान राम ने रावण को मार कर विजय हासिल की थी। राम अच्छाई और रावण बुराई का प्रतीक माने जाते हैं। राम की रावण पर विजय को अच्छाई की बुराई पर जीत के तौर पर देखा जाता है। देशभर में रावण का पुतला दहन किया जाता है और इसे एतिहासिक बनाने के लिए वहां का प्रशासन पुतलों की लम्बाई बढ़ाते हैं।

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उत्तर प्रदेश के बिजनौर में भी कुछ एसा ही देखने को मिल रहा है। विजयदशमी पर रामलीला मैदान में 50 फुट के रावण और 45 फुट के कुंभकरण के पुतलों का दहन होगा। इसके निर्माण के लिए बिजनौर के बुखारा क्षेत्र स्थित मुस्लिम परिवार लगभग तीन दशकों से विजयदशमी पर दहन होने वाले पुतलों का निर्माण करता हुआ चला आ रहा है। बिजनौर श्री राम लीला समिति के द्वारा 5 अक्टूबर को विजयदशमी के दिन रावण और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाएगा। 50 फुट के रावण और 45 फुट के कुंभकर्ण का पुतला बनाने में करीब 150 बाँस, मैदा लेइ, पेपर और रंगीन कागजों सहित रंग का इस्तेमाल किया जाता है।

 बता दें कि इस बार विजयदशमी का त्यौहार 5 अक्टूबर को पूरे भारत देश में मनाया जाएगा और इसी दिन इन पुतलों को रामलीला मैदान में बिजनौर सदर एसडीएम की निगरानी में खड़ा कर इनमें आतिशबाजी लगाई जाएगी। पुतलों को तैयार करने का काम जोर शोर से चल रहा है।

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हमारी तीसरी पीढ़ी बना रही पुतलाः इस्लामु
पुतलों को तैयार कर रहे आतिशबाज इस्लामु ने बताया कि पुतलों को बनाने में लगभग 6 से 8 कारीगर लगे हुए हैं और उनकी यह तीसरी पीढ़ी काम कर रही है जो पुतलो को बना रही है। इससे पहले उनके दादा और उनके पिताजी इन पुतलों को बनाया करते थे।

ये भी है दशहरा का महत्व
इसी दिन माता दुर्गा ने महिषासुर पर भी विजय पाई थी। दशहरे से 14 दिन पहले तक रामलीला दिखाई जाती है, जिसमें भगवान राम की जीवन लीला स्टेज पर दर्शाई जाती है। आखिरी दिन रावण का वध होता है और इसी के साथ रामलीला भी खत्म हो जाती है। दशहरे का दिन काफी अच्छा माना जाता है। कहते हैं अगर किसी कि शादी का कोई मुहूर्त ना हो तो इस दिन वो शादी कर सकते हैं।


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Content Writer

Ajay kumar

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