मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में भाजपा की करारी हार, जानिए क्या रहे कारण?
punjabkesari.in Friday, Jun 07, 2024 - 01:34 PM (IST)
चित्रकूट, (वीरेंद्र शुक्ला): भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में भाजपा को मिली करारी हर के बाद अब भाजपा हार के कारणों पर मंथन कर रही है। बीजेपी लोकसभा सभा प्रत्याशी ने आरके सिंह पटेल ने चुनाव नतीजों से पहले ही पार्टी में भितरघात का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि अपने ही लोगों ने बूथ पर हराने का प्रयास किया जिसमें उन्हें सफलता मिल गई। उन्होंने कहा कि मुझे हराने के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव से से ही ये पटकथा लिखनी शुरू हो गई थी विधानसभा चुनाव में चित्रकूट सदर से पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय व मानिकपुर से गठबंधन में शामिल अपना दल एस से अविनाश चंद्र द्विवेदी चुनाव लड़े थे उस दौरान भाजपा के दिग्गजों ने घात करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी जातिवादी हवाओं में बहकर कई दिग्गज पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में खुलकर प्रचार के लिए भी नहीं निकले उस दौरान दिग्गजों पर विपक्ष से लड़े प्रत्याशियों को आर्थिक मदद से लेकर हर तरह का सहयोग करने का आरोप है।
वरिष्ठ नेताओं ने बागियों का दिया साथ
उन्होंने यहां तक भी आरोप लगाया कि कई जनप्रतिनिधियों ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए पार्टी प्रत्याशी से दांव खेला। जिस वजह से नतीजा यह रहा कि चित्रकूट सदर में भाजपा हार गई और मानिकपुर से गठबंधन प्रत्याशी जीत गए। भाजपा के दिग्गज दांव करने से नहीं चुके निकाय चुनाव में पीछे से बागियों का साथ दिया दिग्गजों ने एक दूसरे को मात देने के लिए निकाय चुनाव में मानिकपुर, मऊ ,राजापुर और मुख्यालय कर्वी में पार्टी से घोषित प्रत्याशियों को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जिसमें इन दिग्गजों ने पार्टी से बगावत कर मैदान में उतरने वालों का पीछे से साथ दिया।
टिकट को लेकर पार्टी के अन्दर गुटबाजी पड़ी भारी
लोगों का यह भी आरोप है कि भाजपा में कुछ चंद चेहरों की जुगलबंदी हावी हुई जो कि स्थानीय स्तर से हाई कमान तक अपनी हनक कायम रखने में पूरी तरह कामयाब रहे। इनकी कारगुजारियों की वजह से भाजपा खेमे में अंदर ही अंदर कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियो तक गुटबंदी तैयार होती गई और लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा में गुटबंदी सिर्फ धर्म नगरी तक ही नहीं रही बल्कि सहकारिता चुनाव में यह बांदा तक पहुंच गई।
पार्टी के प्रति वफादारी रखने वाले कार्यकर्ताओं को किया गया निराश
जिले में भाजपा के चर्चित चेहरों ने सहकारिता चुनाव में अपनी हनक हर जगह दिखाते हुए दखलंदाजी की ।जिसके चलते जमीनी स्तर पर काम करने वाले भाजपा के मूल कार्यकर्ताओ में नाराजगी छा गई चर्चित चेहरे खुद के हाथों में बागडोर रखने के लिए सहकारिता का ज्ञान न रखने वालों को कुर्सी में काबिज करवाया, यही वजह रही की काफी पहले से पार्टी के प्रति वफादारी ईमानदारी रखने वाले कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी और वह खुद को किनारे कर लिया, और पार्टी के अंदर ही अंदर विरोध बढ़ता गया।
ब्राह्मणों की नाराजगी भी हार की बनी वजह
लोकसभा हो या फिर विधानसभा का चुनाव भाजपा में टिकट के लिए हर बार लंबी लाइन देखने को मिली है। पार्टी में खुद को सरदार मानने वाले दिग्गज पहले तो टिकट के लिए हर तरह से प्रयासरत रहे लेकिन जब उनको टिकट नहीं मिल पाता तो वह पार्टी प्रत्याशी को हराने के लिए भीतर घात करने से नहीं चूकते। चुनाव के दौरान जातिवादी हवाओं को तूल देकर कार्यक्रमों में उपेक्षा का आरोप लगाया जाता है ,इतना ही नहीं पार्टी के कार्यक्रम में किनारा काट लेते हैं। इसके बाद पार्टी प्रत्याशी को हराने के लिए हर तरह से प्रयास करते हैं इस बार भाजपा को खासकर ब्राह्मणों की नाराजगी भारी पड़ी है परशुराम जयंती के दौरान जब ब्राह्मण समाज ने शहर में शोभायात्रा निकाली थी तो शोभा यात्रा में ब्राह्मणों ने हाथी को शामिल कर यह संकेत दिए थे कि इस बार वह भाजपा के साथ से किनारा काटने वाले हैं ।
ब्राह्मण बाहुल्य गांवों में बीजेपी पर बसपा रही भारी
मतगणना के बाद जब जिले के ब्राह्मण बाहुल्य गांव में नजर डाली गई तो वहां पर भाजपा को बहुत ही काम मत मिले हैं जबकि ब्राह्मण बाहुल्य गांवो में बसपा भारी रही।भाजपा का मूल वोटर माने जाने वाले ब्राह्मण समुदाय से भाजपा को वोट नहीं मिले। वहीं ब्राह्मणों की लामबंदी को देख कुर्मी बिरादरी ने भी भाजपा का साथ नहीं दिया और भाजपा बांदा चित्रकूट में सपा से 71197 वोटों से चुनाव हार गई। आखिरकार अपने आपको कुछ भाजपा के दिग्गजों ने जिले में सब कुछ माना और आपस में ही एक दूसरे के साथ भीतर घात का खेल खेलते रहे जिसका नतीजा यह हुआ कि चित्रकूट जिले से भाजपा तीसरी पायदान रही।