24 का चक्रव्यूहः बस्ती में बसपा प्रत्याशी ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय, मायावती के राजनीतिक पैंतरे से सपा-भाजपा उम्मीदवारों का बढ़ा सिरदर्द
punjabkesari.in Tuesday, May 21, 2024 - 11:39 AM (IST)
लखनऊ: बस्ती लोकसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती के राजनीतिक पैंतरे से भाजपा और सपा दोनों दलों के उम्मीदवारों का सिरदर्द बढ़ गया है। मायावती की प्रत्याशी बदलने वाली नयी चाल से पहले मुख्य चुनावी मुकाबला मौजूदा भाजपा सांसद हरीश द्विवेदी और उनके पिछले चुनाव के प्रतिद्वंदी सपा प्रत्याशी राम प्रकाश चौधरी के बीच माना जा रहा था, लेकिन बसपा ने यहां ऐन वक्त पर ऐसी चाल चली कि मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। बसपा ने पहले भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र को अपना प्रत्याशी बनाकर सामने किया फिर नामांकन के आखिरी दिन इस फैसले को पलटते हुए दयाशंकर की जगह लवकुश पटेल से अधिकृत उम्मीदवार के रूप में नामांकन करा दिया।
...तो भाजपा प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता नुकसान
दरअसल, राम प्रकाश चौधरी ने इस बार दल बदल लिया है। पिछले चुनाव में वह हाथी की सवारी कर रहे थे। इस बार वह साइकिल पर सवार होकर भाजपा प्रत्याशी को टक्कर देने आए हैं। ऐसे में इस लोस सीट से भाजपा के टिकट पर ताल ठोक रहे हरीश द्विवेदी के सामने वह चुनौती बन कर आ खड़े हुए हैं। इस बीच क्षेत्र में राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि बसपा के मौजूदा प्रत्याशी लवकुश को अगर पूर्व बसपा प्रत्याशी दयाशंकर का साथ मिला तो भाजपा प्रत्याशी को नुकसान उठाना पड़ सकता है,क्योंकि दोनों मिलकर भाजपा के ही वोट बैंक में ज्यादा सेंधमारी कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर बसपा उम्मीदवार से सपा की भी राह बहुत मुश्किल हो गई है। हकीकत तो यह है कि लवकुश पटेल सपा प्रत्याशी राम प्रकाश चौधरी के पुराने करीबी और दूर के रिश्तेदार रहे दिवंगत पूर्व विधायक नंदू चौधरी के बेटे हैं। ऐसे में ब बसपा उम्मीदवार लवकुश भाजपा के साथ-साथ इंडी गठबंधन के प्रत्याशी के लिए भी चुनौती हैं। इसके पीछे एक कारण और यह बताया जा रहा है कि बसपा का कोर वोट जो कि सपा प्रत्याशी की ओर झुक रहा था, पटेल के मैदान में आ जाने से उसने भी चुप्पी साध ली है।
ब्राह्मण मतों में सेंधमारी का प्रयास
बस्ती में अति पिछड़ों की संख्या अधिक है। ब्राहमणों की भी तादाद काफी ज्यादा है। यह वर्ग पिछले चुनाव में भाजपा के साथ ही बताए जाते थे। यादव और मुस्लिम भी है, मगर उनका वोट निर्णायक नहीं होता है लेकिन इनके वोट इस सीट पर जीत-हार के अंतर को प्रभावित करता है। बस्ती में लड़ाई दिलचस्प होने के आसार है। पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर लहे रामप्रसाद चौधरी महज 30 हजार वोटों से ही हारे थे। हालांकि, उस समय सपा-बसपा गठबंधन भी था। इस बार बसपा भी चुनाव मैदान में है। इसलिए, लोकसभा चुनाव 2019 के वोट प्रतिशत के हिसाब से आकलन करना गैर मुनासिब होगा। बस्ती की हरैया विधानसभा सीट पर ब्राहमणों की बहुलता है और बसपा नेता दयाशंकर भी इसी विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। इसलिए अगर पार्टी के ही विश्वासपात्र बने रहे तो ब्राह्मण मतों में वह सेंधमारी करने का प्रयास जरूर करेंगे।
सवर्ण तय करते हैं रुख
बस्ती संसदीय सीट पर कुर्मी बिरादरी की संख्या ज्यादा है और वे ही निर्णायक भूमिका में होते हैं। लेकिन, सवर्ण भी कम नहीं है। ब्राहमण और क्षत्रियों की संख्या भी काफी ज्यादा है। यही वोट बैंक चुनाव का रुख तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह चुनाव पिछले चुनाव से थोड़ा अलग है। पिछड़ों का रुख और सवर्ण मतदाताओं का रुझान ही इस चुनाव में जीत-हार की कहानी लिखेगा।
भाजपा को मिले थे 4,71,163 मत
2019 के चुनाव में बीजेपी ने अपने सांसद हरीश द्विवेदी को मैदान में उतारा था। उनके सामने बसपा के राम प्रसाद चौधरी और कांग्रेस के राज किशोर सिंह थे। इस चुनाव में सपा का बसपा के साथ गठबंधन था और यहां पर बसपा ने उम्मीदवार खड़ा किया था। हरीश द्विवेदी को 471.163 वोट मिले थे तो बसपा के राम प्रसाद चौधरी के खाते में 4,40,808 वोट आए थे, राज किशोर को 86.920 वोट मिले थे।