CM योगी ने नए आपराधिक कानूनों के लिए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देने का दिया निर्देश
punjabkesari.in Saturday, Dec 21, 2024 - 08:39 AM (IST)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण मार्च, 2025 तक पूरा कराने का निर्देश दिया है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में जुलाई, 2024 से लागू तीन नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन की समीक्षा की। आदित्यनाथ ने तीन नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण मार्च 2025 तक पूरा कराने के निर्देश दिए हैं।
यह बोले सीएम योगी
इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा है कि नये कानूनों के क्रियान्वयन के लिए उपयोगी उपकरणों को यथाशीघ्र क्रय कर लिया जाए। बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने नये कानूनों के बारे में व्यापक जनजागरूकता फैलाने की भी जरूरत बताई है। बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि प्रदेश के सभी आईपीएस, पीपीएस और प्रभारी निरीक्षकों, थाना प्रभारियों और तकनीकी कर्मियों को तीनों नये कानूनों के संबंध में शत-प्रतिशत प्रशिक्षित किया जा चुका है।
'नये कानूनों के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदर्शनी लगायी जाए'
वहीं, 99 प्रतिशत निरीक्षकों, 95 प्रतिशत उपनिरीक्षकों तथा 74 प्रतिशत हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुम्भ-25 में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। ऐसे में वहां नये कानूनों के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदर्शनी लगायी जाए। एक जुलाई से तीन नए कानून (भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) लागू किया गया है।
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की चार सदस्यीय टीम ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में खोजे गए श्री कार्तिक महादेव मंदिर, पांच तीर्थस्थलों और 19 कूपों का सर्वेक्षण किया। टीम ने सुबह पांच बजे से तीसरे पहर 3.20 बजे तक आठ घंटे तक 46 साल से बंद मिले खग्गू सराय के शिव मंदिर का सर्वेक्षण किया। इसके अलावे चतुर्मुख कूप, मोक्ष कूप, धर्म कूप सहित 19 कुओं और भद्रक आश्रम, स्वर्गदीप और चक्रपाणि सहित पांच तीर्थ स्थलों का भी सर्वेक्षण किया। टीम में शामिल विशेषज्ञों ने फोटोग्राफी की और अन्य साक्ष्य भी जुटाए।