Covid-19: भारत को कोरोना के प्रभाव से मुक्ति हेतु ''New Year'' पर ब्रज के तपस्वी करेंगे देवी का विशेष यज्ञ

punjabkesari.in Friday, Dec 30, 2022 - 03:12 PM (IST)

मथुरा, Covid 19: उत्तर प्रदेश के मथुरा में ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा  (Braj Chaurasi Kos Parikrama) में शेरगढ़ के पीरपुर गांव के पास स्थित काली मां के आश्रम (Kali Maa Ashram) में तपस्वी संत नागरीदास बाबा (Saint Nagaridas Baba) नव वर्ष (New Year) पर एक जनवरी को देवी की विशेष आराधना, विशेष यज्ञ एवं हवन करेंगे जिससे कोरोना महामारी (Corona Virus) का जो भीषण प्रकोप चीन में वर्तमान में फैल रहा है उससे भारत ज्यादा प्रभावित न हो।

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ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा का हर पावन स्थल तीर्थ है
संत नागरीदास का कहना है कि इसके साथ ही ठाकुर की विशेष आराधना कर उनसे प्रार्थना करेंगे कि ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में पड़ने वाले पीरपुर गांव में वे अपना सुदर्शन चक्र उसी प्रकार से चला दें जिस प्रकार इस महामारी के पिछले प्रकोप के दौरान उन्होंने सुदर्शन चक्र चलाकर पीरपुर गांव को कोरोना से पूर्ण सुरक्षा प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर देवी यज्ञ होगा वही हर साल ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा के अन्तर्गत शेरगढ़ के पीरपुर गांव में मौजूद देवी मां के मन्दिर में अक्षय बट के रूप में मौजूद कल्प वृक्ष एवं श्याम तमाल की नव वर्ष पर भावपूर्ण चार परिक्रमा करने की होड़ सी लग जाती है क्योंकि इसे करने से तनाव से मुक्ति मिल जाती है। काली मां की सतत साधना करनेवाले तपस्वी संत नागरीदास बाबा ने कहा कि वैसे तो ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा का हर पावन स्थल तीर्थ है क्योंकि भगवान श्याम सुन्दर ने स्वयं प्रयागराज से कहा था कि चातुर्मास में सभी तीर्थो के साथ वे यहां पर मौजूद रहें। तीर्थ की इसी महत्ता और प्रताप के कारण व्रज चौरासी कोस की परिक्रमा वर्ष पर्यन्त चलती रहती है। 
      
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जानिए क्या है मान्यता?
परम तपस्वी संत ने बताया कि ऐसा भी माना जाता है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ अपने छोटे भाई के साथ यहां विराजमान हैं। दोनों भाइयों का बल एवं शक्ति जब एक साथ मिल जाती है तो चमत्कार होता है शर्त यह है कि इसकी 108 परिक्रमा भावपूर्ण तरीके से की जाय। इसकी परिक्रमा हर प्रकार की रोग का निदान करने वाली, कालसर्पयोग के दोष, मांगलिक दोषको समाप्त करनेवाली एवं मनोकामना पूरी करनेवाली है। उन्होंने कहा कि नव वर्ष पर यहां पर माई की कृपा की ऐसी वर्षा होती है कि यज्ञ में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूर्ण भक्ति और आस्था के भाव से भाग लेनेवाले का जीवन धन्य हो जाता है।

 

 


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Content Writer

Mamta Yadav

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