कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर प्रयागराज और वाराणसी में दिखा अभूतपूर्व नजारा
punjabkesari.in Tuesday, Nov 12, 2019 - 10:12 AM (IST)

प्रयागराजः कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर प्रयागराज और वाराणसी के घाटों पर आस्था और श्रद्धा का अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला। प्रयागराज के संगम तट पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। वहीं काशी में सभी घाटों पर भक्तों ने पवित्र गंगा में डुबकियां लगाकर पूजन दर्शन किया। अस्सी से लेकर वरुणा तक के सभी घाटों पर स्नान और पूजन का क्रम चलता रहा।
गंगा में डुबकी लगाकर दान-पुण्य कर रहे भक्त
दूर-दूर से आए हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम की धारा में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना कर साल भर अपने परिवार के निरोग रहने की कामना कर रहे हैं। संगम पर सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही हजारों श्रद्धालु इकट्ठे हो गए थे। कई घाटों पर तो तिल रखने की भी जगह नहीं बची। दूसरी ओर, काशी में स्नानार्थियों का जमघट लगा हुआ है। भक्त गंगा में डुबकी लगाकर दान-पुण्य कर रहे हैं।
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन को दामोदर के नाम से भी जाना जाता है। ये भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसकी वजह से इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहते हैं। इस दिन देवताओं ने हजारों दीप जलाकर दिवाली मनाई थी, जो आज भी देव दिवाली के रूप में मनाई जाती है।
जानिए क्या है इस दिन की मान्यता
मान्यता है कि इस दिन शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। साथ ही इस दिन व्रत रखकर रात्रि में बछड़ा दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है। मान्यता यह भी है कि इस दिन जो कुछ आज दान किया जाता है, वह स्वर्ग में सुरक्षित रहता है।