ताजमहल के बंद 22 कमरों के खोलने की मांग की याचिका पर सुनवाई टली, अब अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 02:54 PM (IST)

लखनऊ: अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से दूर रहने की वजह से ताजमहल के इतिहास के बारे में तथ्यान्वेषी जांच के अनुरोध वाली याचिका पर मंगलवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी। याचिका पर अब अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी। याचिका को सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। याचिका में ताजमहल के इतिहास और इसके 22 कमरों को खोलने के बारे में तथ्यान्वेषी जांच का अनुरोध किया गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में सात मई को एक रिट याचिका दायर कर ताजमहल के इतिहास के सच को सामने लाने के मकसद से तथ्यान्वेषी जांच के लिए एक कमेटी के गठन का अनुरोध किया गया।

इतिहास को स्पष्ट करने के लिए 22 बंद कमरों को खोलने का अनुरोध
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह के वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर याचिका में इतिहास को स्पष्ट करने के लिए ताजमहल के 22 बंद कमरों को भी खोलने का अनुरोध किया गया है।

1951 और 1958 में बने उन कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित करने का अनुरोध
याचिका में 1951 और 1958 में बने उन कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित करने का अनुरोध किया गया है, जिनके तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था। इसमें केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) तथा राज्य सरकार को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में उन मान्यताओं का जिक्र किया गया है जिसमें ताजमहल के इन्हीं बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर होने का दावा किया जाता है। याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस के वहां जाने और उनके भगवा वस्त्रों के कारण उन्हें रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है।
 


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Content Writer

Ramkesh

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