यूपी में पहली बार डिजिटल अरेस्ट मामले में सजा, CBI अधिकारी बन डॉक्टर से 85 लाख की थी ठगी, कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई
punjabkesari.in Thursday, Jul 17, 2025 - 07:44 PM (IST)

लखनऊ: खुद को CBI अधिकारी बताकर महिला डॉक्टर को डराने और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देकर 85 लाख रुपये की साइबर ठगी करने वाले देवाशीष राय को अदालत ने सात साल की कठोर सजा सुनाई है। लखनऊ की सीजेएम कस्टम कोर्ट ने 16 जुलाई 2025 को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी पर जुर्माना भी लगाया। यह उत्तर प्रदेश का पहला मामला है, जिसमें डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड में इतनी तेज़ी से सुनवाई पूरी कर दोष सिद्ध किया गया है।
1 साल से भी कम समय में पूरा हुआ ट्रायल
अभियुक्त देवाशीष राय को 5 मई 2024 को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने 2 अगस्त 2024 को चार्जशीट दाखिल की और 348 दिन में ट्रायल पूरा कर लिया गया। गिरफ्तारी के 438 दिन के भीतर अदालत ने सजा सुना दी, जो राज्य में त्वरित न्याय की दिशा में एक उल्लेखनीय मिसाल मानी जा रही है।
कैसे दिया गया अपराध को अंजाम?
देवाशीष राय, जो मूल रूप से आजमगढ़ का निवासी है, वर्तमान में लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार स्थित सुलभ आवास में रह रहा था। उसने फर्जी आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और सिम कार्ड के ज़रिए एक फर्जी नेटवर्क खड़ा किया। 1 मई 2024 को लखनऊ की प्रसिद्ध डॉक्टर डॉ. सौम्या गुप्ता को ड्यूटी के दौरान कॉल किया गया। पहले खुद को कस्टम अधिकारी बताया गया और कहा गया कि उनके नाम पर एक कार्गो में जाली पासपोर्ट और MDMA (नशीला पदार्थ) मिला है। कॉल को फिर एक कथित CBI अधिकारी के पास ट्रांसफर कर दिया गया, जिसने वीडियो कॉल पर ‘डिजिटल अरेस्ट’ दिखाकर पीड़िता को लगातार मानसिक दबाव में रखा। 10 दिनों तक डराकर ₹85 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए गए।
अदालत की टिप्पणी: यह आम आदमी की सुरक्षा और विश्वास पर हमला है
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह गंभीर, सुनियोजित और तकनीकी रूप से उन्नत साइबर अपराध है, जिसमें आम लोगों को सरकारी एजेंसियों का भय दिखाकर ठगा जाता है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर सजा जरूरी है, ताकि समाज में भय का वातावरण कम हो और अपराधियों में कानून का डर बना रहे।
फर्जी फर्म और दस्तावेजों का इस्तेमाल
जांच में सामने आया कि आरोपी ने फर्जी कंपनियों, फर्जी बैंक खातों और सिम कार्ड के ज़रिए पूरे फ्रॉड को अंजाम दिया। डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग कर पीड़िता को मानसिक रूप से पंगु बना दिया गया और भरोसे का लाभ उठाकर रकम हड़पी गई।