देवरिया कांड: सिलाई केंद्र से शेल्टर होम तक, गिरिजा ने एेसे कमाई करोड़ों की दौलत

punjabkesari.in Friday, Aug 10, 2018 - 07:57 AM (IST)

देवरिया(उप्र): उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक सिलाई केंद्र चलाने वाली सामान्य महिला केवल लालच में मां विंध्यवासिनी शेल्टर होम की प्रभावशाली मैनेजर बन गई। इस शैल्टर होम पर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप है।

शेल्टर होम की मैनेजर गिरिजा त्रिपाठी (50) का जन्म खुखुंडू पुलिस स्टेशन के रूपाई गांव में हुआ था। उसकी शादी देवरिया के नूनख्वार गांव के मोहन त्रिपाठी से हुई थी। मोहन भटनी शूगर मिल में एक छोटा-सा कर्मचारी था जबकि गिरिजा अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए सिलाई केंद्र चलाती थी। गिरिजा को अपनी ताकत का एहसास तब हुआ जब भाटनी शूगर मिल के प्रबंधन से अपने पति की नौकरी के लिए संघर्ष किया। भटनी के रहने वाले राजेश कुमार ने बताया कि शूगर मिल की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मोहन की नौकरी चली जाने का खतरा उत्पन्न हो गया तब गिरिजा ने मिल प्रबंधन के खिलाफ जबरदस्त धरना प्रदर्शन किया और आखिर में मिल प्रबंधन को झुकना पड़ा।

भटनी में प्रौढ़ शिक्षा केंद्र बनने पर वह प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में आई और वह प्रौढ़ लोगों को प्रशिक्षण भी देने लगी। बाद में देवरिया चली आई और यहां रेलवे स्टेशन रोड पर मां विंध्यवासिनी सेवा संस्थान नामक शेल्टर होम और स्वयं सेवी संस्था चलाने लगी। करीब 2 दशक तक गिरिजा ने काफी पैसा कमाया और उसने गोरखपुर में एक वृद्धा आश्रम खोल दिया।

इसके अलावा देवरिया के राजला इलाके और रेलवे स्टेशन रोड पर शेल्टर होम भी चलता रहा। उसकी बड़ी बेटी कनकलता फिलहाल पुलिस हिरासत में है और वह जिला प्रोबेशन अधिकारी गोरखपुर में संविदा पर काम करती है। उसका पुत्र एक शिक्षित अध्यापक है। छोटी बेटी कंचनलता देवरिया के शेल्टर होम की अधीक्षिका थी। गिरिजा के देवरिया में शेल्टर होम खोलने के साथ ही उसके काफी रसूखदार लोगों से संबंध हो गए। इसके सबूत वह फोटोग्राफ हैं जिनमें वह नेताओं और अधिकारियों के साथ दिख रही है। उसकी स्वयं सेवी संस्था का लाइसैंस 2017 में समाप्त हो गया था। इसके बावजूद प्रशासन उसे अनेक सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित करता रहा।


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