बाराबंकी में घाघरा नदी का कहर: नेपाल से छोड़े गए 2.65 लाख क्यूसेक पानी से कछारी गांव में तेज हुई कटान, ग्रामीणों में दहशत; बोले- 1965 से नहीं मिली सरकारी मदद
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 08:11 PM (IST)

Barabanki News, (अर्जुन सिंह): नेपाल द्वारा मंगलवार को छोड़े गए करीब 2.65 लाख क्यूसेक पानी के चलते बाराबंकी जिले में सरयू (घाघरा) नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। लगातार बारिश के चलते स्थिति और गंभीर होती जा रही है। इसका सीधा असर रामनगर तहसील क्षेत्र के कछारी गांव में देखने को मिल रहा है, जहां घाघरा नदी तेजी से कटान कर रही है। जिससे कई घर अब कटान की सीधी जद में हैं और ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में राहत चौकियां स्थापित कर दी हैं और राजस्व, सिंचाई विभाग की टीमें मौके पर निगरानी बनाए हुए हैं। जलस्तर को देखते हुए लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट करने की भी व्यवस्था है। साथ ही कटान रोकने के प्रयास भी जारी हैं। बोरियों और अन्य तकनीकी उपायों से किनारे को बचाने की कोशिशें की जा रही हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि नदी का जलस्तर जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से कटान भी हो रहा है। गांव के बुजुर्ग कमलेश ने बताया कि वे 1965 से इस गांव में रह रहे हैं, तब से लगातार घाघरा का विकराल रूप देखते आ रहे हैं। उनका घर पूरी तरह से नदी में समा गया है और अब उनके पास न रहने की जगह बची है, न कोई सहारा। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अब तक सरकार से कोई कॉलोनी, सहायता या वृद्धा पेंशन नहीं मिली। इंदल कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि नदी अब सीधे उनके घरों के पास तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग की टीम आई थी और थोड़ी राहत सामग्री मंगाई गई, लेकिन हालात पर कोई खास असर नहीं पड़ा। कटान तेज़ है सहायता के नाम पर सब खानापूर्ति लगती है, हकीकत में राहत नहीं दिख रही।
राजेंद्र निषाद ने बताया कि कटान स्थल पर लेखपाल, सिंचाई विभाग के जेई और ठेकेदार मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि टीमें यहां जरूर तैनात हैं और कुछ काम भी कर रही हैं, लेकिन नदी का बहाव इतना तेज है कि प्रयासों से कोई खास फर्क नहीं दिख रहा। वहीं ग्रामीण गोगे ने बताया कि पिछली बाढ़ में गांव का सरकारी विद्यालय भी नदी में समा गया था। उन्होंने कहा कि इस बार भी हालात वैसे ही बन रहे हैं। हमारे घर के पास तक कटान पहुंच गया है। बाढ़ में घर सामान सब डूब जाता है। इस समय प्रशासन की ओर से कोई ठोस सहायता नहीं मिल रही।