HC का बड़ा आदेश- सुनने की क्षमता का शत-प्रतिशत नुकसान होने पर दंडनीय अपराध सिद्ध

punjabkesari.in Saturday, Apr 22, 2023 - 01:18 AM (IST)

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि कान के परदे में छेद की प्रकृति के आधार पर उसे तब तक गंभीर चोट नहीं कहा जा सकता है, जब तक सुनने की क्षमता में शत-प्रतिशत हानि न हुई हो।

दरअसल, आरोपी नाजिम द्वारा पीड़िता के दाहिने कान पर छड़ी मारने से उसे चोटें आईं। हालांकि इसे गंभीर चोट नहीं माना जाएगा, क्योंकि कोई ऐसी मेडिकल रिपोर्ट नहीं है, जिससे स्थाई नुकसान साबित होता हो। एसीजेएम (प्रथम), अलीगढ़ के आदेश को चुनौती देते हुए आरोपी ने आईपीसी की धारा 326 के तहत मुकदमे को रद्द करने की मांग लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा ने निष्कर्ष निकाला कि ईएनटी सर्जन की राय में पीड़िता के दाहिने कान के ड्रम में छेद था, इसलिए यह एक गंभीर चोट कही जा सकती है, लेकिन इस तरह की चोट से जब श्रवण क्षमता का शत-प्रतिशत नुकसान होता है तो निश्चित रूप से यह आईपीसी की धारा 320 को आकर्षित करेगा और अगर किसी खतरनाक हथियार या साधन का उपयोग करके चोट पहुंचाई जाती है तो यह आईपीसी की धारा 326 के तहत माना जाएगा।

गौरतलब है कि मौजूदा मामले में आरोपी ने आईपीसी की धारा 326 के तहत दर्ज मुकदमे में पारित आदेश को रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने मामले का अवलोकन कर यह पाया कि ऐसा कोई चिकित्सा साक्ष्य नहीं है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि पीड़िता के दाहिने कान की श्रवण क्षमता को शत-प्रतिशत नुकसान हुआ है, इसलिए यह मामला आईपीसी की धारा 326 के अंतर्गत नहीं माना जाएगा। अतः अदालत ने आरोपी की याचिका स्वीकार करते हुए निचली अदालत के समन आदेश को निरस्त कर दिया।


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Content Writer

Mamta Yadav

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