'SC- ST के आरक्षण का बंटवारा कितना उचित...' सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मायावती ने दी प्रतिक्रिया
punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 11:53 AM (IST)
UP News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण पर दिए फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण के तहत वर्गीकरण की मंजूरी दे दी है। यानी मौजूदा कोटे के अंदर भी नया कोटा बनाया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई है। मायावती ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है।
'सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक उत्पीड़न कुछ भी नहीं'
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ''सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?''
1. सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक़ उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?
— Mayawati (@Mayawati) August 2, 2024
'एससी, एसटी के प्रति सरकारों का रवैया उदारवादी रहा'
मायावती ने आगे कहा कि ''देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती।''
2. देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती।
— Mayawati (@Mayawati) August 2, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार ईवी चिन्नैया मामले में 2004 के फैसले को पलट दिया है और कोटा के अंदर कोटा को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करना जायज है। सिर्फ जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस पर असहमति जताई है। कोर्ट ने कि राज्यों के पास आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में उप-वर्गीकरण करने की शक्तियां हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्यों को नौकरियों और दाखिलों में आरक्षण के लिए एससी, एसटी में उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है?