''मैं डॉक्टर बनना चाहती थी...मेरा सपना अधूरा रह गया, मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना’, सुसाइड नोट लिख छात्रा ने दी जान

punjabkesari.in Thursday, Feb 27, 2025 - 10:45 AM (IST)

Prayagraj News: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां पर एक नर्सिंग छात्रा ने सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली। उसने नोट में लिखा कि ''मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना। मैं डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन मेरा सपना अधूरा रह गया।'' नोट लिखने के बाद छात्रा फंदे से झूल गई। जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लिया और जांच शुरू कर दी।

जीएनएम प्रथम वर्ष की छात्रा थी मृतक 
दरअसल, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय स्थित नर्सिंग हॉस्टल में जीएनएम प्रथम वर्ष की 20 वर्षीया छात्रा प्रीति सरोज ने सुसाइड नोट लिखकर बुधवार सुबह फंदे से लटककर जान दे दी। बता दें कि कौशांबी जनपद के संदीपन घाट थानांतर्गत फरीदपुर निवासी शत्रुध्न सरोज राजमिस्त्री हैं। उनकी दो पुत्री व दो पुत्र में दूसरे नंबर की प्रीति पढ़ाई में काफी तेज थी, जिस कारण पिछले वर्ष उसका प्रवेश सरकारी कॉलेज में हुआ था। वह जीएनएम प्रथम वर्ष की छात्रा थी और एसआरएन चिकित्सालय स्थित नर्सिंग हॉस्टल में रहती थी। 11 फरवरी को उसकी तबीयत बिगड़ी तो दूसरे दिन उसके पिता यहां आए और उसे अपने साथ घर ले गए। तबीयत ठीक होने पर 23 फरवरी को हॉस्टल लाकर छोड़ा।

मरने से पहले किया था पिता को फोन 
बताया जा रहा है कि बुधवार सुबह 7:22 बजे प्रीति ने अपने पिता को फोन किया। मेडिकल प्रमाण पत्र लाने की बात कही। उसके पिता घर में रखा मेडिकल प्रमाण पत्र लेकर निकलते, इसके पहले उनके पास हॉस्टल से फोन आया कि प्रीति ने खुदकुशी कर ली है। वह पत्नी के साथ रोते-बिलखते यहां पहुंचे। जानकारी पर पुलिस भी पहुंची। पुलिस ने कमरे में रहने वाली छात्रा से बातचीत की। उसने बताया कि कमरे में पांच छात्राएं रहती थीं। तीन छात्राएं महाशिवरात्रि पर दर्शन करने के लिए मंदिर चली गईं थीं। वह कमरे में थीं। करीब दस बजे प्रीति ने उससे कहा कि स्नान करने से पहले उसे दवा लगानी है, इसलिए कुछ देर के लिए बाहर चली जाए। वह छत पर चली गई। करीब 15 मिनट बाद आई तो अंदर से दरवाजा बंद था। उसने दरवाजा खुलवाने की कोशिश की, लेकिन नहीं खुला। यह बात उसने हॉस्टल के कर्मचारियों को बताई। खिड़की से कमरे के भीतर देखा गया तो पंखे से रस्सी के सहारे उसकी लाश लटक रही थी।

सुसाइट नोट में लिखी ये बातें..
‘'मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना। मैं डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन मेरा सपना अधूरा रह गया। मैं कान की बीमारी से बहुत परेशान हूं। दोनों कानों में सुनने में तकलीफ होती है। पूरे शरीर में भी खुजली रहती है। अब और नहीं झेल सकती, इसलिए सुसाइड करने जा रही हूं।'' छात्रा ने ये सुसाइड नोट लिखकर जान दे दी।

क्यों उठाया खौफनाक कदम? 
प्रीति के साथ रहने वाली छात्राओं ने बताया कि वह कई दिनों से काफी परेशान थी, उसे कोई बीमारी थी, जिससे वह टूट गई थी। बेटी को क्या बीमारी थी, इस बारे में भी वह स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बता सके। प्रीति की खुदकुशी की खबर पाकर उसके माता-पिता पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। पिता ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं। प्रीति दूसरे नंबर पर थी। प्रीति ने जब सुबह उनको फोन किया तो वह ठीक थी। बस इतना बोला कि मेडिकल प्रमाण पत्र लेकर आइए। इसके कुछ ही देर बाद उनको पता चला कि बेटी ने आत्महत्या कर ली है। मां ने बताया कि बेटी से बहुत उम्मीद थी। वह पढ़ने में होनहार थी। सोचा था कि जीवन भर गरीबी का जो दंश झेला बुढ़ापे में सुख मिलेगा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। बोली कि बेटी हमेशा कहती थी कि गरीबी व हालातों से लड़ना सीखो। कभी घबराओ नहीं, लेकिन वह ही हालातों से नहीं लड़ सकी।
 


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Content Editor

Pooja Gill

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