तलाक के मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला,कहा- भारतीय कोर्ट के क्षेत्राधिकार का प्रयोग नहीं कर सकती अप्रवासी महिला
punjabkesari.in Thursday, Nov 02, 2023 - 04:32 PM (IST)

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रवासी भारतीय के तलाक के मामले में अपने आदेश में कहा कि यद्यपि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 19 में आने वाला 'निवास' शब्द अधिनियम के तहत परिभाषित नहीं है, लेकिन वह किसी स्थान पर तलाक की कार्रवाई पर निर्णय देने के लिए उस क्षेत्र के न्यायालय में आकस्मिक यात्रा का अधिकार नहीं देता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली पत्नी की अपील पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
दरअसल अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट, मुरादाबाद ने क्षेत्राधिकार की कमी के आधार पर अपीलकर्ता (पत्नी) द्वारा हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दाखिल आवेदन को खारिज कर दिया था। अपीलकर्ता के वकील का तर्क था कि प्रतिवादी द्वारा दाखिल आवेदन बताए गए तथ्यों का खंडन करने अपील का अवसर नहीं दिया गया। हालांकि कोर्ट ने उक्त तर्क को निराधार माना, लेकिन यह नोट किया कि भले ही ऑस्ट्रेलिया में किसी भी सक्षम अदालत के समक्ष पार्टियों के बीच तलाक की कोई कार्यवाही लंबित न हो, लेकिन निचली अदालत ने क्षेत्राधिकार की कमी के आधार पर याचिका को खारिज करने में गलती की है।
कोर्ट ने यह माना कि अपीलकर्ता ऑस्ट्रेलिया में रह रही है और भारत की कुछ समय की यात्रा के दौरान उसने तलाक की कार्रवाई शुरू की होगी। इस स्थिति में अधिनियम की धारा 19 (बी) (ए) के प्रावधान उसका बचाव नहीं करते है। कोर्ट ने आगे कहा कि भारत की संक्षिप्त यात्रा के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि यह उसे मामला मुरादाबाद में फैमिली कोर्ट में के क्षेत्राधिकार में आता है। कोर्ट ने को खारिज कर दिया।