स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा हड़ताल का असर; इलाज न मिलने से 14 दिन की बच्ची की मौत; बीमार बेटे को लेकर पेड़ के नीचे बैठी रही मां

punjabkesari.in Monday, Aug 19, 2024 - 03:08 PM (IST)

UP News: कोलकाता में डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद इसके विरोध में सभी डॉक्टरों ने आंदोलन शुरू किया हुआ है। डॉक्टर हड़ताल पर बैठे है और महिला सुरक्षा और आरोपी को सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रहे है। डॉक्टरों की हड़ताल का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है। मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा। मरीज अस्पताल के बाहर इलाज के लिए बैठे हुए है। हड़ताल के छठे दिन रविवार की दोपहर में बीएचयू अस्पताल में कुछ इसी तरह का दृश्य देखने को मिला। यहां एक्स रे, अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र के बाहर परिजन अपने मरीजों को स्ट्रेचर पर लेकर जांच कराने का इंतजार करते रहे। इलाज न मिलने से एक 14 दिन की बच्ची ने दम तोड़ दिया और एक मां अपने दो साल के बेटे को गोद में लेकर पेड़ के नीचे बैठी रही।

ओपीडी सेवाएं रही बंद
बता दें कि बीएचयू अस्पताल में इमरजेंसी पर्चा काउंटर 99 नंबर के पास पेड़ के नीचे एक मां अपने दो साल के बेटे को गोद में लेकर बैठी रही। अब तक की छह दिन की हड़ताल में बीएचयू में ओपीडी के सुचारू रूप से न चलने की वजह से करीब 20 हजार से अधिक मरीज बिना इलाज लौट गए। साथ ही इन छह दिनों में करीब 500 से अधिक मरीजों की सर्जरी भी टालनी पड़ी। उनको हड़ताल के बाद आने को कहा गया है। रविवार को अवकाश होने की वजह से बीएचयू में ओपीडी तो बंद रही, लेकिन दोपहर में इमरजेंसी के बाहर भी सामान्य दिनों की तुलना में मरीजों की संख्या कम दिखी। इमरजेंसी के भूतल पर 20 बेड वाला दोपहर में खाली रहा।

दो साल के बेटे को लेकर बैठी रही मां
इमरजेंसी के बाहर दोपहर करीब 1 बजे अपने दो साल के बेटे अयांश को लेकर उसकी मां बैठी रही। बेटे को बुखार था और वह कमजोर हो गया था। डॉक्टर को दिखाने के बाद उसके पिता ही उसे पेड़ के नीचे बिठाकर दवा खिला रहे थे। औसतन बीएचयू अस्पताल में हर दिन करीब चार हजार नए और डेढ़ हजार के करीब फालोअप वाले मरीज आते हैं। इसी तरह दूसरे मरीज भी इलाज का इंतजार कर रहे थे। इमरजेंसी से व्हीलचेयर पर लेकर करीब 50 वर्षीय एक मरीज को लेकर उसके परिजन एक्सरे करवाने पहुंचे। यहां पहले से स्ट्रेचर पर लिटाए एक मरीज को लेकर उस परिजन खड़े थे। लोग जांच कक्ष के खुलने का इंतजार करते रहे कि वो एक्सरे करवा सकें। इसके अलावा जांच कक्ष में पड़ी कुर्सियों पर तीन मरीज पहले से ही बैठे रहे।
 


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Content Editor

Pooja Gill

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