सहारनपुर में भी साहसी किसानों ने शुरू की सीड ड्रिल से धान की बुआई, जानिए, इसके फायदे और नुकसान

punjabkesari.in Sunday, Jul 31, 2022 - 07:09 PM (IST)

सहारनपुर: हरियाणा के बाद अब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भी कुछ प्रगतिशील और साहसी किसानों ने धान की पौध रोपने के बजाय सीधे सीड ड्रिल से बुआई करने की पद्धति को अपनाया है।       

जिले में सरसावा ब्लाक के गांव सांपला बेगमपुर में सरदार गुरबचन सिंह ने 50 बीघा के खेत में धान की बुआई सीड ड्रिल मशीन के जरिए की है। सहारनपुर मंडल के उप निदेशक (कृषि) डा. राकेश कुमार ने रविवार को बताया कि हरियाणा में इस विधि से धान की खेती प्रचलित हो गयी है। अब सहारनपुर मंडल के शामली में भी कुछ किसान धान की सीधी बुआई कर रहे हैं, लेकिन इस जिले में पहली बार धान की सीधी बुआई के लिए जोरो सीड ड्रिल मशीन का प्रयोग शुरू हुआ है।       

डा. कुमार ने बताया कि नौ कतार वाली मशीन से एक घंटे में एक एकड़ धान की सीधी बुआई हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस विधि से धान की खेती करने में जो सबसे बड़ा जोखिम है उसमें किसान को खरपतवार के प्रकोप का सामना करना पड़ता है। खरपतवार से बचाव के लिए किसान को रसायनों का उचित तरीके से इस्तेमाल करना होता है। उन्होंने बताया कि हाल ही में सांपला बेगमपुर गांव पहुंचकर किसान सरदार गुरबचन सिंह के खेतों का निरीक्षण किया। इस किसान ने धान की उन्नत प्रजाति-1509 की ड्रिल मशीन के जरिए सीधी बुआई की है।

कुमार ने बताया कि इस विधि से धान की खेती करने में किसान बुआई और रोपाई के खर्च से बच जाता है और करीब एक सप्ताह का समय भी कम लगता है। ऐसे किसान को बुआई के तुरंत बाद खरपतवार नाशक स्प्रे का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से धान की फसल खरपतवार के प्रकोप से बच जाती है। उन्होंने बताया कि इस विधि से धान की बुआई के दूसरे या तीसरे दिन 30 फीसद वाली 3.3 लीटर पैंडीनिथालिन को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र वाले खेत में छिड़काव करना चाहिए। इसके 20-25 दिनों के बाद 20 फीसद वाली आलमिक्स की 20 ग्राम मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करना चाहिए। इससे चौड़ी पत्ती वाले और मोथा प्रजाति के खरपतवार काबू में रहते हैं।       

इस विधि से उपजायी गयी धान की फसल एक सप्ताह पहले तैयार हो जाती है। नर्सरी, रोपाई और बुआई पर श्रमिकों पर होने वाला खर्च भी बच जाता है। उन्होंने कहा कि सहारनपुर के इस किसान ने थोड़े बड़े स्तर पर इस विधि से धान की बुआई की है। वह इसके लिए हरियाणा के किसानों से प्रोत्साहित हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सहारनपुर के धान किसान भी इस विधि का भविष्य में इस्तेमाल कर लाभान्वित हो सकते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Mamta Yadav

Recommended News

Related News

static