साहब यहां ‘कमाई के सामने लोगों जान की क्या औकात..?’ जिम्मेदारों पर कार्यवाही यहां नहीं होती...यहां होता है जनता की जान का सौदा
punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 06:07 PM (IST)

कानपुर [प्रांजुल मिश्रा] : कानपुर वासियों...अगर आपके ऊपर कल कोई छत गिर जाए, तो आप “हाय-हाय” मत करिएयेगा… क्योंकि कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) के अफसर सब कुछ जानकर भी अंजान बने बैठे हैं। यहाँ जनता की जान की कीमत, KDA के ‘कमाऊ पूतों’ की कमाई वाली सीट से कहीं कम आँकी जाती है! अगर आपकी जान चली भी जाए तो परेशान मत होइएगा. क्योंकि यहाँ तो अफसर जानबूझकर भी बने बैठे हैं अनजान! यहाँ जान की नहीं, "कमाई की कीमत" लगती है जनाब! और जब बात हो केडीए के ‘कमाऊ पूतों’ की...तो फिर ईंट-सीमेंट नहीं, नोटों की दीवार खड़ी की जाती है!
बताते चलें कि जोन 3 बर्रा के हरदेव नगर जहाँ मनोज पाल जो BL स्मारक इंटर कॉलेज चलाते हैं, वो स्कूल की तीन मंज़िला इमारत बनवा रहे थे —बिना नक्शा पास कराए, बिना पिलर, पतली सरिया और अधिकारियों की “मौन सहमति” के साथ बीएल स्मारक इंटर कॉलेज के नाम से पहले से ही संचालित था लेकिन निर्माण में जो मानकों की बलि चढ़ी, वो किसी भी तरह "स्मारक" के लायक नहीं थी।
बीते सोमवार की रात, तीसरी मंज़िल की ढलाई के दौरान, दूसरी मंज़िल के कॉलम दरक गए, शटरिंग टूटी, बल्लियाँ हटीं और तीसरी मंज़िल का हिस्सा भरभराकर गिर गया उस दौरान 13 मज़दूर काम कर रहे थे। तीसरी मंजिल की छत गिर गई, नहीं नहीं... सिर्फ छत नहीं गिरी...गिरा है लोगों का भरोसा... कानपुर विकास प्राधिकरण यानी KDA के उन ज़िम्मेदारों पर, जिन्हें ना मानकों की परवाह है, ना मजदूरों के जान की...छत गिरने से मजदूर श्रवण कुमार के दोनों पैर दब गए, धीरू किसी तरह जान बचाकर भाग निकला, 13 मजदूरों की सांसें अटकी रहीं और KDA के ज़िम्मेदार वो तो मौके पर नज़र भी नहीं आए...!
क्यों भाई...? क्या ये आपके क्षेत्रीय जेई रामदास और सुपरवाइजर राजेन्द्र कुमार का "कमाई का प्रोजेक्ट" था? बिल्डिंग बिना पिलर के बनाई जा रही थी... छत में बारीक, कमजोर सरिया...और KDA वाले... मूकदर्शक नहीं, सार्थक भागीदार बने बैठे थे..!
सूत्रों की मानें तो निर्माण की मंजूरी तो दूर, मानक से कोई वास्ता ही नहीं रखा गया था। लेकिन पूछिए मत... जेई साहब और सुपरवाइजर जी की जेबें गरम थीं, तो निर्माण भी ‘गरमागरम’ ही चलेगा! हादसे के बाद पहुंचे ADM सिटी राजेश कुमार, मुख्य अग्निशमन अधिकारी दीपक शर्मा...उन्होंने जांच का भरोसा दिलाया... लेकिन जिन KDA अफसरों की आंख के नीचे यह सब हुआ, वे कहीं नज़र तक नहीं आए... शायद कोई "अन्य जरूरी मीटिंग" में व्यस्त रहे होंगे.. या फिर किसी नए कमाऊ प्रोजेक्ट का ब्लूप्रिंट तैयार कर रहे होंगे...।
अब सवाल ये है कि क्या इस हादसे के बाद भी कमाऊ पूत रामदास और राजेन्द्र कुमार पर होगी कोई कार्रवाई...? या फिर फिर से वही पुराना ड्रामा – "जांच होगी", "तथ्य सामने लाए जाएंगे", और फिर सबकुछ... फाइलों में दफन... और नोटों में संतोषजनक...! कानपुर में विकास नहीं, ‘विकास का दिखावा’ हो रहा है, जहाँ KDA खुद ‘विकास के विध्वंसक’ बन चुके हैं। अगर अब भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो समझ लीजिए – केडीए अब सिर्फ "कमाई वाला प्राधिकरण" बन चुका है, ना कि "कानपुर के सपनों को साकार करने वाला विभाग"।
जनता की जान जाए भाड़ में, लेकिन जेई साहब की कमाई वाली सीट बची रहनी चाहिए! क्योंकि यहाँ अफसरों की नज़र में "पब्लिक की जान से ज्यादा कीमती होती है... कमाऊ पूत की कमाई!" हालांकि इस प्रकरण पर कार्यवाही के संबंध में बात करने के लिए जोन 3 के प्रवर्तन प्रभारी (OSD) अजय कुमार से जब पंजाब केसरी संवाददाता ने बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा शायद उनके पास किसी तरह का कोई जवाब नहीं होगा या फिर शायद जवाब देने से बच रहे हो....।