कानपुर: दशकों से अंगद पांव जमाए बैठे अभियंता, शासनादेश विरुद्ध कर रहे काम

punjabkesari.in Friday, Jul 26, 2024 - 02:05 PM (IST)

कानपुर (प्रांजुल मिश्रा) : सपा के शासन काल के सेटिंगबाज अधिकारियों का प्रदेश की योगी सरकार में भी जलवा कायम है जिसका जीता जागता उदाहरण यूपी के कानपुर में ही आपको देखने को मिल जायेगा कैसे सपा सरकार के बाद अब योगी सरकार में भी सेटिंग गेटिंग के दम पर पद का दुरुपयोग कर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए शासनादेश विरुद्ध काम करते हुए अधिकारी अपनी जेब भरने में जुटे हैं । आय से अधिक संपत्ति इन लोगों ने जुटा रखी है और भ्रष्टाचार का ठीकरा प्रदेश सरकार के माथे फोड़ रहे हैं। वहीं विपक्ष सरकार को घेर रहा है। इतना ही नहीं विभागाध्यक्ष भी इनके ठेंगे पर हैं।

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कानपुर के विकास वाले विभाग में तैनात अवर अभियंता अरविंद उपाध्याय और पीके वर्मा की कहानी इस वक्त चर्चा का विषय बनी हुई है। भी तरखाने के विभागीय सूत्रों की यदि माने तो ये दोनों अवर अभियंता पिछले एक दशक से ज्यादा समय से प्राधिकरण के प्रवर्तन में मलाई काट रहे हैं सेटिंग और पैसों की दम पर उन्होंने शासनादेश तक को चुनौती दे डाली है। यूं तो अरविंद उपाध्याय और पी के वर्मा की कार्यशैली पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं।

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बताया जा रहा है कि विभाग में इनके खिलाफ कोई आवाज उठाने से भी डरता है क्योंकि इनका योगी सरकार में भी नई तबादला नीति में भी कोई कुछ नही कर पाया सेंटिग की दम पर 3 और 5 साल की बात कौन करे यह दशक बना चुके हैं। जबकि अन्य लोग उसके दायरे में आए। आय भी इतनी अर्जित कर रखी है। जो नौकरी के 100 सालों में भी नहीं कमाई जा सकती है। नियमों के विपरीत जाकर अपनी जगह बनाए हुए है, यह सब ऐसे ही इन्होने हासिल नहीं किया  है।

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बताया जा रहा है  कि इसके पीछे राजधानी तक उनकी पहुंच के किस्से आम हो चुके है। उनकी तगड़ी सेटिंग के चलते यह संभव हो पाया है। दोनों अभियंता अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों के वारे न्यारे चुके हैं और विकास प्राधिकरण के नियमों के विरुद्ध मनमानी चलाते रहे हैं और बिल्डरों पर कार्रवाई न करके उसका साथ देकर अपनी जेब भर रहे हैं करोड़ों रूपयों के राजस्व की विभाग को हानि पहुंचाई है।

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शासनादेश के अनुसार, किसी भी अधिकारी का एक जनपद में लंबे समय तक रहना नियमों के विरुद्ध है कारण भ्रष्टाचार उपजना शुरू हो जाता है फिर भी अरविंद उपाध्याय और पीके वर्मा का कानपुर विकास प्राधिकरण में जलवा एक ही जगह जमे रहने के कारण कायम है। जबकि इन्ही के समकक्ष लोग नियमानुसार ट्रांसफर हुए हैं।
30 जून को लिस्ट आने के बाद विभागों में यह चर्चा आम हो चुकी है कि साहब की सेटिंग राजधानी में मंत्री और अफसरों तक है अब तो कुछ विभागीय सूत्र यहां तक बताते कि अगर इनकी भष्टाचार निवारण या आर्थिक अपराध में जांच हो जाए सारा सच बाहर आ जाएगा।

आरोप है कि दोनों का स्थानांतरण करीब एक दशक से नहीं हुआ यह तो एक बानगी है, प्रवर्तन में तैनात रहकर इन्होंने विकास प्राधिकरण के नियमों के विरुद्ध धांधली की और अवैध निर्माणों को नजर अंदाज किया बेइंतहा दौलत खड़ी की...। सूत्र ने दावा किया कि अगर इनकी करतूते देखनी हैं तो वह इनके पूर्व में तैनात रहे जोनों में अवैध निर्माणों को गिनकर देख ले तो पता चल जाएगा अरबों के राजस्व की चोट विभाग को दी है। उसी पैसे के पावर कारण कोई उनका कुछ नहीं कर पाया।

यह मामला प्रशासनिक नहीं, बल्कि कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इन अभियंताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में किसी भी अधिकारी द्वारा कोई ऐसा कृत्य ना किया जाए जिससे सरकार व विभाग की छवि धूमिल हो और विभाग के राजस्व को अरबों रुपए की हानि पहुंचे निजी स्वार्थ पूरे कर आम जनता की जान का सौदा कर अवैध रूप से मानकों के विपरीत बिल्डिंगें तन रहीं हैं। इतना ही नहीं जब कैजुअल्टी होती है मुआवजा सरकार को देना पड़ता है...।इनका जलवा सपा से लेकर भाजपा सरकार तक कायम है देखने वाली बात अब यह होगी कि उच्चाधिकारी इस पूरे प्रकरण पर क्या कार्रवाई की हिम्मत जुटा पाएंगे।

विश्वस्त सूत्रों की माने तो अवर अभियंता अरविंद उपाध्याय ने रतन लाल नगर में इन दोनों बिल्डिंगों पर कार्रवाई न होने देने के एवज में डीलिंग की है जबकि मानकों को ताक पर रखकर बिल्डर गिरीश और सिंघानिया ने अवैध रूप से निर्माण कर एक्स्ट्रा स्लैप और पार्किंग में निर्माण किया है बावजूद इसके अरविंद उपाध्याय बिल्डरों को आशीर्वाद देकर बचाने का काम कर रहे हैं।

क्या कहना है केडीए वीसी
वहीं इन दोनों मामलों पर केडीए वीसी मदन सिंह गबर्याल ने स्पष्ट तौर पर विधिक कार्रवाई करने का आदेश दिया है।


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Content Writer

Ramkesh

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