किन्नरों ने भगवान शिव को बांधी राखी,मालिकों की बेरुखी से त्र्रस्त भाईयों ने बहन को उपहार में दिया गन्ना
punjabkesari.in Monday, Aug 03, 2020 - 10:19 AM (IST)

बागपत: रक्षाबंधन की परंपरा सदियों से चली आ रही है, भाई बहन के अटूट प्यार के रिश्ते का पर्व पूरी दुनिया मे सबसे खास होता है। इस त्यौहार का हर भाई-बहन को पूरे साल इंतजार रहता है, लेकिन बागपत के दाहा गांव में रहने वाले ये दोनों किन्नर हर साल इस त्योहार को मनाते जरूर है लेकिन इनके दिल के दर्द को शायद कोई नही समझ पाता। समाज ने ना इन्हें पहले स्वीकार किया और न आज स्वीकार करने को तैयार है।
रक्षाबंधन पर प्यार, अहसास और अपनेपन को समेटे रिश्ते की इस मजबूत डोर को कोई इन किन्नरों से बंधवाने को तैयार नही है। दिल इनका भी करता है, कोई भाई हो। ये भी किसी भाई का मुँह मीठा कराएं, किसी को तिलक करें और किसी की लंबी उम्र की दुआ करें, लेकिन कोई इनके अहसास को नही समझता। इसलिए आदिदेव महादेव और अपने ईस्ट देव महादेव को ही अपना भाई बना लिया और उन्हें रक्षाबंधन पर राखी बांधने पहुंचते है। दिल को सुकून मिला कि कम से कम समाज ही ना सही समाज को बनाने वाले को ही अपना भाई मान लिया। किन्नर पिंकी और पुष्पा ने अपना दर्द बयां किया है।
पूरे देश का मुँह मीठा कराने वाले गन्ना किसान का मुँह कड़वा
बागपत में रक्षाबंधन की ये दूसरी कहानी भी मजबूरी की बेड़ियों में जकड़ी है। पूरे देश का मुँह मीठा कराने वाले गन्ना किसान का मुँह कड़वा है। बैंक के कर्जे के तले दबे है और चीनी मिल मालिकों ने बकाया गन्ने का भुगतान ही नही किया। रक्षाबंधन पर बहने अपने भाइयों को राखी बांधने तो पहुच गई, लेकिन भाइयो की जेब खाली होने पर भाइयो ने बहनों को उपहार में गन्ना दे दिया। मामला बागपत के बिनोली ब्लॉक के आदमपुर गांव का है। यहां के किसानों का हाल बेहाल है और चीनी मील इनके खून पसीने की कमाई पर कुंडली मारे बैठी है, शायद तभी तो ऐसी मजबूरी फंसी की उपहार में गन्ना देने तक की नोबत आ गई। गन्ना किसान मनोज ने बहन नरेश को गन्ना उपहार के रूप में भेंट किया है।
मजबूरी की बेड़ियों में जकड़ी ये दो कहानी सिर्फ कहानी नही बल्कि समाज की हकीकत को बयां कर रहीं है। दर्द दर्द ही होता है फिर उसे चाहे समाज दे या फिर सरकार?