बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए स्थानीय परिस्थितियों का हो सर्वेक्षण: सीएम योगी

punjabkesari.in Saturday, Mar 01, 2025 - 08:58 AM (IST)

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ समस्या के स्थायी समाधान के लिए नदी की स्थानीय परिस्थितियों के अध्ययन के निर्देश दिए हैं। बाढ़ सम्बन्धी परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां कहीं नदी के मेन स्ट्रीम में सिल्ट की अधिकता हो, नदी उथली हो, वहां ड्रेजिंग को प्राथमिकता दी जाए और नदी को चैनलाइज किया जाए। यदि ड्रेजिंग से समाधान होना संभव न हो, तब ही तटबंध अथवा कटान निरोधी अन्य उपायों को अपनाया जाये। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी नदियों के ड्रोन सर्वेक्षण कर स्थानीय परिस्थितियों के बारे में समुचित जानकारी प्राप्त कर ली जाए। 

सीएम योगी ने दिए ये निर्देश 
बता दें कि शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबंधन और जन-जीवन की सुरक्षा के द्दष्टिगत जारी तैयारियों की समीक्षा करते हुए योगी ने बाढ़ की द्दष्टि से अतिसंवेदनशील/संवेदनशील जिलों, पूर्ण और लंबित परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत आठ वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। बाढ़ की द्दष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है। बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अंतरविभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है।

अलर्ट मोड पर रहे विभाग: योगी 
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वर्तमान सत्र के लिए तय की गईं परियोजनाओं का अवशेष कार्य प्राथमिकता के आधार पर नियत समय के भीतर पूरा करा लिया जाए। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं में देरी से न केवल कार्य प्रभावित होता है, बल्कि वित्तीय बजट भी बढ़ता है। ऐसे में सभी को निर्धारित समय सीमा में पूरा किया जाना चाहिए। किसी भी परियोजना का बजट पुनरीक्षण नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की द्दष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फरुर्खाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं। यहां विभाग को अलर्ट मोड में रहना होगा। 

'सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए'
अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3869 किमी लंबाई वाले 523 तटबंध निर्मित हैं, जबकि 60047 किलोमीटर लंबाई के 10727 ड्रेन हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए। सभी ड्रेन की सफाई 31 मार्च के पहले करा ली जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24म7 एक्टिव मोड में रहें। उन्होंने कहा कि श्रावस्ती, गोण्डा, सीतापुर, हरदोई एवं बाराबंकी में प्रस्तावित कार्यों को समय से गुणवत्ता के साथ पूरा कर लिया जाए। साथ ही नदियों में अवैध खनन की गतिविधि कहीं भी न हो सके, इसके लिए लगातार मॉनीटरिंग की जाती रहे।
 


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Content Editor

Pooja Gill

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