इलाहाबाद HC की लखनऊ बेंच ने नगर निगम से पूछा- ‘आवारा कुत्तों के हमलों को रोकने में कहां आ रही समस्या’
punjabkesari.in Monday, Jun 03, 2024 - 03:26 PM (IST)
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Lucknow News, (अनिल सैनी): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ बेंच ने शहर और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या पर स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने यह फैसला कई घटनाओं को लेकर लिया है जिनमें लखनऊ के विकास नगर में दो छोटे बच्चों और कानपुर में एक नाबालिग लड़की की मौतें शामिल हैं। जिनमें आवारा कुत्तों द्वारा उत्पन्न खतरों को उजागर किया गया था। रिपोर्टों में बच्चों के पीछा किए जाने और कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाओं का विवरण दिया गया जिससे गंभीर चोटें और मौतें हुईं। हाईकोर्ट ने इस मामले में नगर निगम से सवाल पूछा है कि आवारा कुत्तों के हमले को रोकने में आखिर दिक्कत कहां आ रही और इसके लिए वो क्या उपाय कर रहे हैं।
नसबंदी कुत्ते अभी भी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा: HC
कोर्ट ने नोट किया कि लखनऊ नगर निगम एलएमसी द्वारा चलाए जा रहे रहे नसबंदी और टीकाकरण प्रयासों के बावजूद समस्या बनी हुई है। कोर्ट ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन से संबंधित कई कानूनी ढांचे और नियमों की जांच जिनमें शामिल हैं। पशु जन्म नियंत्रण नियम 2023र ये नियम पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत तैयार किए गए हैं जो नसबंदी और टीकाकरण किए गए कुत्तों को उनके मूल स्थान पर छोड़ने का निर्देश देते हैं। कोर्ट ने उन मामलों में इन नियमों की प्रयोज्यता पर सवाल उठाया जहां नसबंदी कुत्ते अभी भी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं।
अब तक 78,000 कुत्तो की नसबंदी की जा चुकी है: अभिनव वर्मा
पशु कल्याण अधिकारी डॉक्टर अभिनव वर्मा ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने डॉग को लेकर एक बच्चे की जान चली गई थी उसको लेकर संज्ञान लिया है। नगर निगम खेद प्रकट करता है माननीय उच्च न्यायालय के जो दिशा निर्देश है उनका अनुपालन किया जाएगा। 2019 से एपीसी प्रक्रिया अभी तक चल रही है लगभग 78,000 कुत्तो की नसबंदी की जा चुकी है, वही एंटी वायरस भी लगाया जा चुका है। लखनऊ नगर निगम में संस्था (APC ) कार्य देखती है अंतर्राष्ट्रीय संस्था है उसके द्वारा प्रत्येक (6) छह माह में सर्वे किया जाता है उसी के अनुसार आँकड़े बता रहा हूँ। परडे 60 से 100 कुत्ते पकड़े जाते हैं फिर उनकी दूसरे दिन नसबंदी की जाती है और घाव भरते ही उनको वहीं ले जाकर छोड़ दिया जाता है। काटने वाले सवालों की शिकायत आती है तो उनको नगर निगम टीम के माध्यम से पकड़कर डॉग केयर सेंटर में लाते है। पशु चिकित्सक की टीम चेक करती है उनको 10 दिनों तक सेंटर में रखकर उनकी जाँच की जाती है और उनको एंटी रैबिश इंजेक्शन लगाया जाता है।