शहीद अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा, राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

punjabkesari.in Tuesday, Sep 28, 2021 - 05:34 PM (IST)

गाजियाबाद: शहीद अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर उनके पैतृत्व गांव गाजियाबाद के हिसाली लाया गया । शहीद के आखिरी दर्शन के लिए उनके पैतिक गांव में लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। राजकीय सम्मान के साथ मुरादनगर में शमशान घाट पर शहीद को मुखाग्नि दी गई। इस दौरान लोगों ने शहीद को नम आखों से श्रद्धांजलि दी। दरअसल, पर्वतारोही फौजियों का एक दल 2005 में गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ पर तिरंगा फहराकर वापस लौट रहा था। रास्ते में संतुलन बिगड़ने से हादसा हो गया। इससे 4 जवान सैकड़ों फीट नीचे खाई में गिर गए थे। उनमें से अमरीश त्यागी का शव नहीं मिला था। परंतु 16 साल बाद शव उनका शव उत्तराखंड में बर्फ में दबा मिला। बर्फ में मिला शव काफी हद तक सुरक्षित था। इसके बाद परिजनों इसकी सूचना दी गई। बाद में परिजनों शव की पहचान की। जिसे बाद आज उनके शव का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
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16 साल बाद शव मिलने से परिवार का जख्म हुआ ताजा
अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर उनके पैतृत्व गांव गाजियाबाद पहुंचा तो परिजनों का जख्म 16 साल बाद ताजा हो गया। दरअसल,  उनकी मौत के ठीक 16 साल बाद उत्तराखंड में बर्फ में दबा मिला है। पर्वतारोही फौजियों का एक दल 2005 में गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ पर तिरंगा फहराकर वापस लौट रहा था। रास्ते में संतुलन बिगड़ने से हादसा हो गया। इससे 4 जवान सैकड़ों फीट नीचे खाई में गिर गए थे। उनमें से एक का शव नहीं मिला था। जो 16 साल बाद बर्फ में दबा हुआ मिला है। जिससे परिवार का जख्म ताजा हो गया। वहीं गांव शाोक का महौल ब्याप्त हो गया है।  
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स्वर्णिम विजय वर्ष के मौके पर सतोपंथ चोटी को फतह करने के बाद हुआ था हादसा 
भारतीय सेना के दल को बर्फ में दबा मिला शव भारतीय सेना का 25 सदस्यों का एक दल स्वर्णिम विजय वर्ष के मौके पर सतोपंथ चोटी को फतह करने 12 सितंबर को उत्तरकाशी से निकला था। यह चोटी हिमालय रेंज के बीच है। यह गंगोत्री नेशनल पार्क की दूसरी सबसे बड़ी चोटी है। इसकी ऊंचाई करीब 7075 मीटर है। अभियान के दौरान सेना के दल को 23 सितंबर को हर्षिल नाम की जगह के पास बर्फ में दबा अमरीश त्यागी का शव मिला। इसे सेना के जवानों ने गंगोत्री पहुंच गया और पुलिस को सौंपा। तीन शव तभी मिल गए थे पुलिस और सेना ने जब जानकारी जुटाई तो पता चला कि अमरीश 23 सितंबर 2005 में इसी चोटी पर तिरंगा फहराकर लौट रहे थे। तब पैर फिसलने से 4 जवान खाई में गिर गए थे। तीन जवानों के शव उसी वक्त बरामद हो गए थे, जबकि एक लापता था। ठीक 16 साल बाद 23 सितंबर 2021 को उनका शव बरामद हुआ है।
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आर्मी ने 2006 में मृत जवान को किया घोषित कर
आर्मी मुख्यालय नई दिल्ली से तीन जवानों का दल 25 सितंबर को गांव हिसाली पहुंचा। यहां अमरीश त्यागी का पैतृक मकान है। घर पर अमरीश के भाई विनेश और रामकिशोर मौजूद मिले। जवानों ने उन्हें बताया कि 16 साल पहले बर्फीले पहाड़ से उतरने के दौरान अमरीश त्यागी लापता हुए थे, उनका शव अब मिला है। आर्मी जवानों के अनुसार, बर्फ पिघलने पर उसमें दबे अमरीश त्यागी का शव दिखाई पड़ा। आर्मी ने 2006 में मृत घोषित कर दिया था अमरीश त्यागी के तीन भाई रामकिशोर त्यागी, विनेश त्यागी, अरविंद त्यागी हैं। रामकिशोर और विनेश त्यागी हिसाली में ही रहते हैं और खेतीबाड़ी संभालते हैं।

अरविंद त्यागी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री चंडीगढ़ में कार्यरत हैं। विनेश त्यागी ने बताया कि 2005 में यह हादसा हुआ। 2006 में आर्मी ने मृत घोषित करते हुए अमरीश की पत्नी को आर्थिक सहायता दे दी थी।मां-बाप की आखिरी इच्छा नहीं हो सकी पूरी विनेश त्यागी ने बताया कि अमरीश उस वक्त डीजीएमआई साउथ ब्लॉक दिल्ली के पीए पद पर थे। 23 सितंबर 2005 को यह हादसा हुआ था। उन दिनों आर्मी ने कई दिन तक बचाव-खोजी अभियान चलाया। उत्तराखंड में मौसम खराब होने की वजह से सफलता नहीं मिली थी। उनके पिता राजकुमार का 10 साल पहले और मां विद्यावती का 4 साल पहले निधन हो चुका है। दोनों की आखिरी इच्छा थी कि बेटे के दर्शन कर लें, जो अधूरी रह गई।


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Content Writer

Ramkesh

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