शिक्षिका को मातृत्व अवकाश न देने पर हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा- अधिनियम देता है महिला को स्वायत्त जीवन जीने की स्वतंत्रता
punjabkesari.in Sunday, Mar 19, 2023 - 10:02 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि बच्चे के जन्म को जीवन की प्राकृतिक घटना और मातृत्व के प्रावधानों के रूप में रोजगार के संदर्भ में समझा जाना चाहिए। उक्त आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, एटा द्वारा पारित आदेशों को रद्द करने की सरोज कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जिसके तहत मातृत्व अवकाश की मंजूरी को ठुकरा दिया गया है।
मातृत्व अवकाश आवेदन को किया गया था खारिज
याची प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका है। याची ने एक बच्ची को जन्म दिया और अस्पताल से छुट्टी के बाद 18 अक्टूबर 2022 से 15 अप्रैल 2023 (180 दिनों के लिए) की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश हेतु आवेदन किया, लेकिन आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि संलग्नक अधूरे थे। इसके बाद याची ने निर्धारित प्रोफार्मा पर 30 अक्टूबर 2022 को फिर से आवेदन किया, लेकिन इसे भी खारिज कर दिया गया कि प्रसव के बाद मातृत्व अवकाश की अनुमति नहीं है और अब आप सीएल के लिए पात्र हैं और मैटरनिटी लीव आउट ऑफ डेट हो चुका है। अब आप क्रमशः चाइल्ड केयर लीव के लिए आवेदन कर सकती हैं।
बीएसए ने मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के प्रावधानों की अनदेखी की
पीठ ने कहा कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 महिलाओं के गर्भावस्था और मातृत्व अवकाश के अधिकार को सुरक्षित करने और महिलाओं को स्वायत्त जीवन जीने के लिए जितना संभव हो, उतना लचीलापन प्रदान करने के लिए अधिनियमित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि बीएसए ने मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के प्रावधानों की अनदेखी की है।
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