Mission Milkipur: अयोध्या की मिल्कीपुर सीट CM योगी के लिए नाक का सवाल, अवधेश की ललकार

punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2024 - 01:32 PM (IST)

Mission Milkipur: यूपी में फिर से एक सियासी जंग छिड़ने जा रहा है, इस जंग से ही सभी पार्टियां 2027 में होने वाले चुनावी महाभारत की तैयारियां शुरू करेंगी। पिछले आम चुनाव में इंडिया गठबंधन का दबदबा था और उसी दबदबे को बरकरार रखने के लिए गठबंधन अपनी पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दी है। और कहीं न कहीं इस उपचुनाव को सुबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा रहा है। क्योंकि जिस तरह गठबंधन ने अयोध्या में भाजपा को मात दी है। कहीं न कहीं भाजपा नेताओं को यह बात आज भी कचोट रही है। 

यह चुनाव तो महज तो 10 सीटों पर हो रहा है लेकिन यह चुनाव कितना बड़ा आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि CM योगी आदित्यनाथ खुद मिल्कीपुर और कटेहरी दो सीटों पर भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अखिलेश यादव ने भी CM योगी को टक्कर देने के लिए उनके सामने अवधेश प्रसाद को खड़ा कर दिया है। हालांकि इस सीट से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं  भाजपा ने अभी तक यहां से उम्मीदवार का चुनाव नहीं किया है और अयोध्या से सांसद ने पहले ही खुलेआम भाजपा को चैलेंज दे दिया है कि दम है तो मिल्कीपुर सीट जीत कर दिखाए। 

सीएम योगी के लिए नाक की लड़ाई 
अयोध्या के सांसद के इसी तेवर की वजह से अब योगी आदित्यनाथ ने इसे नाक की लड़ाई बना दिया है और खुद मैदान में उतर गए हैं। पिछले दिनों कई बार सीएम ने मिल्कीपुर का दौरा किया है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इस सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए अपने चार मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है। इनके नाम सूर्य प्रताप शाही, मयंकेश्‍वर शरण सिंह, गिरीश यादव और सतीश शर्मा हैं। योगी ने भूमिहार, ठाकुर, यादव और ब्राह्मण समाज के मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतार कर जातिगत समीकरण साधने की तैयारी तेज कर दी है।

अयोध्या में भाजपा हार, अखिलेश का प्रचार-प्रसार
पिछली बार अयोध्या में भाजपा हार गई थी अखिलेश यादव ने सड़क से लेकर सदन तक इसका प्रचार-प्रसार किया था सोचिए अगर मिल्कीपुर सीट भी भाजपा हार जाती है तो क्या होगा। यही वजह है कि इस सीट को दोनों पार्टियों ने राष्ट्रीय चुनाव बना दिया है।

उपचुनाव के मैदान में मायावती 
उधर, मायावती भी पीछे नहीं हटने वाली हैं कभी उपचुनाव नहीं लड़ने वाली पार्टी अब तैयारी में कोई कमी नहीं रखना चाहती हैं। इसकी रणनीति बनाने के लिए मंगलवार को लखनऊ में पार्टी की एक बैठक भी हुई। इसी बैठक में उपचुनाव की रणनीति तय की गई है। उपचुनाव के नतीजे बसपा के लिए संजीवनी बूटी का काम कर सकते हैं, क्योंकि बसपा उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा में लगभग शून्य की स्थिति में पहुंच गई है। 


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Imran

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