सिस्टम ने इंसानियत को किया शर्मसार: VIP की एंट्री, एंबुलेंस को नो एंट्री! मां के शव को स्ट्रेचर पर लेकर 1 किलोमीटर पैदल चला बेटा
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 07:32 AM (IST)

Hamirpur News: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक बार फिर वीआईपी संस्कृति और आम जनता के साथ भेदभाव का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां कानपुर-सागर हाईवे पर स्थित यमुना पुल की मरम्मत के चलते हर शनिवार और रविवार को आम लोगों के लिए पुल पर वाहन चलाना पूरी तरह से बंद होता है। लेकिन शनिवार को एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया
एंबुलेंस रोकी गई, लेकिन विधायक की कार को जाने दिया गया
मिली जानकारी के मुताबिक, शनिवार सुबह हमीरपुर सदर से बीजेपी विधायक मनोज प्रजापति की गाड़ी पुल से आसानी से निकल गई, लेकिन कुछ ही समय बाद एक एंबुलेंस को रोक दिया गया जिसमें एक महिला का शव था। एंबुलेंस में सवार बेटे ने अधिकारियों से बहुत मिन्नतें कीं, लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी। मजबूरी में वह अपनी मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर करीब 1 किलोमीटर तक पैदल चला, फिर दूसरे छोर पर जाकर शव को ऑटो में रखकर गांव ले गया।
क्या है पूरा मामला?
हमीरपुर के टेढ़ा गांव निवासी बिंदा की मां शिव देवी का इलाज कानपुर में चल रहा था। शनिवार सुबह इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। बिंदा अपनी मां का शव एंबुलेंस से लेकर गांव लौट रहा था। जैसे ही वह यमुना पुल पहुंचा, वहां पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे रोक दिया क्योंकि पुल पर मरम्मत कार्य के चलते ट्रैफिक बंद था। जबकि इसी दिन सुबह करीब 6:30 बजे बीजेपी विधायक मनोज प्रजापति की गाड़ी को पुलिस ने बिना रोक-टोक के पुल पार करा दिया।
विधायक का बचाव
विधायक मनोज प्रजापति का कहना है कि जब वह पुल से निकले, तब पुल पूरी तरह बंद नहीं था, इसलिए उनकी गाड़ी निकल गई। उन्होंने कहा कि 21 जून को भी प्रमुख सचिव का काफिला पुल से निकला था, जबकि पुल बंद था।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
इस घटना के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला। समाजवादी पार्टी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि "भाजपा सरकार में जनता बेबस और मजबूर। जहां शव वाहन को पुल से रोका गया, वहीं विधायक की गाड़ी आराम से निकली। शर्मनाक!" वहीं कांग्रेस ने भी इस घटना को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा कि "यह घटना बीजेपी सरकार की उस मानसिकता को दर्शाती है जहां नेता खुद को राजा समझते हैं, और जनता की परेशानियों की उन्हें कोई परवाह नहीं होती।"
प्रशासन पर सवाल
यह घटना प्रशासन की दोहरी नीति को उजागर करती है। जहां आम जनता के लिए नियम सख्त, लेकिन नेताओं और वीआईपी के लिए पूरी छूट। इस घटना से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं और लोग इस 'भेदभाव' पर नाराजगी जता रहे हैं।