इंसानियत हुई शर्मसार: 1 किलोमीटर तक मां के शव को स्ट्रेचर पर ले गया बेटा, एंबुलेंस को नहीं मिला रास्ता... वजह कर देगी हैरान
punjabkesari.in Saturday, Jun 28, 2025 - 01:53 PM (IST)

Hamirpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर-सागर हाईवे पर स्थित यमुना पुल पर उस वक्त इंसानियत शर्मसार हो गई, जब एक बेटे को अपनी मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर एक किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा, क्योंकि पुल पर मरम्मत के चलते किसी भी वाहन को अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई थी। यहां तक कि शव वाहन को भी नहीं।
मरम्मत का काम, बंद कर दिया गया यातायात
हर शनिवार और रविवार को यमुना पुल पर मरम्मत का कार्य होता है। इसी क्रम में शनिवार सुबह 6 बजे से पुल से वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई। सिर्फ पैदल चलने वालों को ही पुल पार करने की इजाजत दी जा रही थी।
शव वाहन को भी नहीं मिली एंट्री
सुबह करीब 9:30 बजे, एक शव वाहन कानपुर से हमीरपुर की ओर आ रहा था। वाहन में थेड़ा गांव निवासी बिंदा की मां शिवदेवी का शव था। शिवदेवी का पैर फैक्चर हो गया था और उन्हें कानपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। बेटा अपनी मां का शव लेकर गांव लौट रहा था। लेकिन जब वाहन यमुना पुल के पास पहुंचा तो पुल पर तैनात कर्मियों ने वाहन को आगे बढ़ने से रोक दिया। परिवार के लोगों ने कई बार विनती की गिड़गिड़ाए लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
बेटे ने स्ट्रेचर पर शव रखकर किया अंतिम सफर शुरू
मजबूर होकर बेटे ने शव वाहन के चालकों की मदद से मां के शव को स्ट्रेचर पर रखा और खुद 1 किलोमीटर लंबे पुल को पैदल पार किया। रास्ते में करीब 4 जगहों पर शव को नीचे रखकर, थोड़ी देर सुस्ताया और फिर उठाकर आगे बढ़ा। जब वह पुल पार कर गया, तब जाकर शव को एक ऑटो में रखकर अपने गांव ले जा पाया।
जिसने देखा, उसकी आंखें भर आईं
यह दृश्य देखकर पुल से गुजरने वाले हर व्यक्ति का दिल दहल गया। लोग व्यवस्था को कोसते नजर आए कि आखिर एक शव वाहन को भी इंसानियत के नाते क्यों नहीं जाने दिया गया?
यह सिर्फ एक खबर नहीं, एक सवाल है...
क्या कोई प्रशासनिक निर्णय इतना कठोर हो सकता है कि उसमें मृतक को भी सम्मानपूर्वक अंतिम यात्रा का अधिकार न मिले? यह घटना न केवल व्यवस्था की असंवेदनशीलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आज भी इंसान को इज्जत से मरने देने की गारंटी नहीं है।