UP की 18 पिछड़ी जातियों को SC में शामिल करने की अधिसूचना रद्द, निषाद पार्टी ने फैसले का किया स्वागत

punjabkesari.in Thursday, Sep 01, 2022 - 06:55 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 18 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति (एससी) की श्रेणी में रखने संबंधी राज्‍य सरकार की अधिसूचना को इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय द्वारा निरस्‍त किये जाने के बाद राजनीतिक हलचल शुरू हो गयी है। प्रदेश के मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने इन 18 पिछड़ी जातियों के 'हक' की लड़ाई लड़ने का इरादा जताया है, वहीं कांग्रेस ने सत्‍तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर इन जातियों के वोट लेकर उन्‍हें धोखा देने का आरोप लगाया है। भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने अदालत के इस आदेश का स्‍वागत करते हुए कहा है कि राज्‍य सरकार द्वारा 18 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने संबंधी राज्‍य सरकार की पूर्व में जारी अधिसूचनाएं त्रुटिपूर्ण और 'असंवैधानिक' थीं। हालांकि निषाद समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने वाली निषाद पार्टी ने स्‍पष्‍ट किया है कि वह इस मामले को लेकर संघर्ष जारी रखेगी। निषाद पाअीर् के रुख से ऐसा लगता है कि उसे अब भी उम्‍मीद है कि भाजपा इस दिशा में कुछ करेगी।

गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्‍यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर की खंडपीठ ने 18 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल करने के लिये राज्‍य सरकार द्वारा 2016 और 2019 में जारी अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली याचिका को स्‍वीकार करते हुए उन्हें रद्द कर दिया था। राज्‍य की तत्‍कालीन अखिलेश यादव सरकार ने 2016 में और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने वर्ष 2019 में 18 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल करने से संबंधित अधिसूचना जारी की थी लेकिन उनके कार्यान्वयन पर अदालत ने रोक लगा दी थी। इससे पहले भी सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार ने 2005 में एक आदेश जारी कर इन पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने की कोशिश की थी, लेकिन उस पर भी उच्‍च न्‍यायालय ने रोक लगा दी थी। दो साल बाद मायावती की बसपा सरकार ने इस आदेश को रद्द कर दिया था। हालांकि बाद में मायावती ने केंद्र को पत्र लिखकर इनमें से कुछ जातियों को अनुसूचित की श्रेणी में शामिल करने को अपना समर्थन दिया था। मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी और मछुआ जाति के लोगों की संख्‍या कुल मिलाकर राज्य की अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लोगों की आबादी की लगभग 50 फीसदी है और उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से ज्‍यादातर का नतीजा इनके वोटों पर निर्भर करता है।

राजनीतिक पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव में जातियों का सियासी रुख साधने में जुटी
राजनीतिक पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां कर रही हैं। ऐसे में इन जातियों का सियासी रुख काफी मायने रख सकता है। आमतौर पर यादव बिरादरी में आधार रखने वाली समाजवादी पार्टी अब अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाताओं के बीच अपने प्रभाव का विस्तार करने की इच्छुक है। इसके लिए उसने छोटी जाति केंद्रित पार्टियों- अपना दल (कमेरावादी), महान दल और जनवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद से गैर-यादव अन्‍य पिछड़ी जातियों का समर्थन हासिल करने पर काम कर रही है। अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी अब उत्‍तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी हैं। विपक्षी दलों ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि वे 18 पिछड़ी जातियों के इस मामले को अगले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल करेंगे। सपा नेता राजपाल कश्यप ने परोक्ष रूप से आरोप लगाया कि इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने जिस याचिका पर इन 18 जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने की अधिसूचनाएं रद्द कीं, उनके पीछे भाजपा सरकार थी।

 2016 में 18 जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने का जारी किया था नोटिफिकेशन
 योगी आदित्यनाथ सरकार अन्‍य पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों को छीन रही है। उन्‍होंने कहा, ''हमारे नेता अखिलेश यादव ने 2016 में बहुत चर्चा के बाद 18 जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने की अधिसूचना जारी करवाई थी। भाजपा ने इन जातियों के लिए वादा तो किया लेकिन उसे निभाया नहीं। यह इन सबसे पिछड़ी जातियों के साथ पूर्ण विश्वासघात है।" कश्‍यप ने कहा, ‘‘वे भाजपा नेता और उनके सहयोगी नेता कहां हैं, जो पिछड़ी जातियों की राजनीति करते हैं? भाजपा सरकार को इसके पिछड़े विरोधी कदम का जवाब देने की जरूरत है।" कांग्रेस ने भी भाजपा पर हमला करते हुए दावा किया कि सत्तारूढ़ दल ने इन 18 पिछड़ी जातियों को धोखा दिया है।

अमित शाह से मिलकर अनुसूचित जाति में शामिल करने का करेंगे प्रयास: संजय निषाद
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने इस मुद्दे पर कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश से यह साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनाव में वोट लेने के लिए इन 18 जातियों के लोगों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का भरोसा दिलाया और उनके वोट लेने के बाद उन्हें धोखा दे दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ-साथ केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, अगर यह पार्टी (भाजपा) इन 18 जातियों कि वाकई हितैषी होती तो संसद में कानून लाकर इनको अनुसूचित जातियों में शामिल करने की प्रक्रिया को संवैधानिक रूप दे सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं करके एक बार फिर इन्हें धोखा दिया है। निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने कहा कि राज्य सरकार के रद्द किए गए आदेश में एक "तकनीकी खामी" थी। उन्‍होंने कहा, “हम मझवार के आरक्षण के लिए लड़ना जारी रखेंगे जिसके तहत निषाद, केवट, मल्लाह और बिंद सहित सात जातियां आती हैं और इस संबंध में एक हस्ताक्षर अभियान शुरू करेंगे। हम इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलेंगे।"


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Content Writer

Ramkesh

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