Ramcharitmanas Controversy: स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतरी OBC महासभा, श्रीरामचरित मानस की जलाईं प्रतियां
punjabkesari.in Monday, Jan 30, 2023 - 12:42 AM (IST)

लखनऊ: रामचरित मानस (Ramcharit Manas) को लेकर शुरू हुआ विवाद अब गहराता जा रहा है। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधान परिषद सदस्य पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा (OBC Masabha) के कार्यकर्ताओं ने रविवार को 'महिलाओं और दलितों के लिए आपत्तिजनक'' दोहों वाले मानस के 'पन्ने' की प्रतियां जलाकर विरोध जताया।
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स्वामी प्रसाद मौर्य को OBC महासभा का मिला समर्थन
अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने मौर्य के समर्थन में लखनऊ के वृंदावन योजना सेक्टर में 'सांकेतिक' विरोध प्रदर्शन करते हुए श्रीरामचरित मानस के पन्ने की प्रतियां (फोटोकॉपी) जलायीं। महासभा के पदाधिकारी देवेंद्र प्रताप यादव ने बताया, ‘‘जैसा कि मीडिया के एक वर्ग में बताया गया है कि हमने रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थीं, यह कहना गलत है। रामचरितमानस की आपत्तिजनक टिप्पणियों की फोटोकॉपी, जो 'शूद्रों' (दलितों) और महिलाओं के खिलाफ थीं, और फोटोकॉपी पेज को सांकेतिक विरोध के रूप में जलाया गया।'' यह पूछे जाने पर कि उन्हें ऐसा विरोध दर्ज कराने के लिए किसने प्रेरित किया, यादव ने कहा, "स्वामी प्रसाद मौर्य ने पहले ही मांग की थी कि रामचरितमानस में उल्लिखित आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटा दिया जाना चाहिए या उन पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया। इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य को हमने समर्थन दिया है और अखिल भारतीय ओबीसी महासभा उनके साथ खड़ी है।''
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स्वामी प्रसाद के बयान से मचा बवाल
रामचरितमानस, अवधी भाषा में लिखा महाकाव्य है, जो रामायण पर आधारित है और इसकी रचना 16वीं शताब्दी के भक्ति कवि तुलसीदास ने की है। अन्य पिछड़ा वर्गों के प्रमुख नेताओं में से एक सपा के विधानपरिषद सदस्य तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में यह आरोप लगाकर एक विवाद खड़ा कर दिया कि रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों में जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का "अपमान" किया गया। उन्होंने मांग की कि इन पर "प्रतिबंध" लगाया जाए। मौर्य प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। मगर 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उन्होंने इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। उन्होंने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया था।