हे भगवान! यूपी में अभियंता की जांच को छोड़ विधायक और सांसद के पत्रों की हो रही जांच, भ्रष्टाचार अधिशासी अभियंता की दोनो की थी शिकायत
punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2024 - 07:38 PM (IST)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर जहां सख्त रूख अपनाए हुए हैं तो वहीं कुछ विभाग में भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों ने इतनी मजबूत पकड़ बना ली है कि योगी के सांसद विधायक की सुनवाई नहीं हो रही है। दरअसल, अधिशासी अभियंता मनीष श्रीवास्तव के ऊपर भ्रष्टाचार और धन उगाही को लेकर सांसद- विधायक की शिकायत बावजूद भी उन पर कार्रवाई नहीं हो रही बल्कि विधायक सांसद द्वारा लिखे गए शिकायात पत्र की ही विभाग ने जांच शुरू कर दी। इस पर विधायक और सांसद ने सफाई दी कि मेरे द्वारा ही पत्र लिखा गया है। यह पहला ही मामला होगा प्रदेश में कि जब किसी ने विभाग के खिलाफ शिकायत की हो तो विभाग शिकायतकर्ता की ही जांच कराने लगा हो।
जानिए पूरा मामला
दरअसल, यूपी स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (सिडको) में अधिशासी अभियंता मनीष श्रीवास्तव के ऊपर भ्रष्टाचार और धन उगाही को लेकर सांसद व विधायक द्वारा शिकायत किया तो विभाग ने लिखे पत्रों के जांच की बात कर दी। ऐसे में भाजपा के ही सांसद और विधायक अपने पत्रों की पुष्टि को लेकर पत्र जारी कर रहे हैं ऐसा पहला मामला होगा जहां पर शिकायत करने के बाद शिकायतकर्ता की जांच हो रही है।
बिना जांच के अधिशासी अभियंता का दिया ट्रांसफर
अधिशासी अभियंता मनीष श्रीवास्तव के ऊपर भ्रष्टाचार और धन उगाही के आरोप के बावजूद भी यूपी स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों ने उसकी जांच नहीं की बल्कि भ्रष्टाचार के आरोप के बाद भी उनका आजमगढ़ मंडल से झांसी के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है।
ट्रांसफर रोकने के लिए एमडी पर बनाया दबाव
सूत्रों की मानें तो सिडको विभाग के एमडी डॉ प्रकाश बिंदु के ऊपर लगातार ट्रांसफर रोकने का भी दबाव बनाए जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि अभियंता पोस्टिंग काफी दूर कर दी गई है। फिलहाल लोगों का सवाल यह है कि जहां योगी सरकार जीरो टॉलरेंस होने का दावा करती है तो दूसरी ओर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई न होना बड़ा सवाल है। लोगों का यहां तक सवाल है कि आखिरकार जब सांसद विधायक की शिकायत के बावजूद भी भ्रष्ट अधिकारी पर कार्रवाई के बजाय उनके ही शिकायत पत्र की जांच हो रही है तो आम नागरिक की शिकायत पर क्या ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी? लोगों को सवाल यह भी है आखिर भ्रष्ट अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?