''हमारी ऋषि परंपरा जियो और जीने दो की रही है...'' गोरखपुर में बोले सीएम योगी
punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2024 - 03:37 PM (IST)
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज यानी रविवार को गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समसामयिक विषयों के सम्मेलनों की श्रृंखला के पहले दिन ‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषयक सम्मेलन में पहुंचे। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि ''दुनिया में जब सभ्यता, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के प्रति आग्रह नहीं था तब भारत मे सभ्यता, संस्कृति और मानवीय जीवन मूल्य चरम पर थे।''
'भारतीय सभ्यता लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण रही है'
अपने संबोधन के दौरान सीएम योगी ने भारतीय सभ्यता की बात की। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीन काल से लेकर अर्वाचीन काल तक लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण रही है। इसका उद्देश्य किसी का हरण करना या किसी पर जबरन शासन करना नहीं था, बल्कि इसकी भावना ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की रही है। इसका नया स्वरूप आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के संकल्प में दिखता है। हमारी ऋषि परंपरा जियो और जीने दो की रही है क्योंकि यही सच्चा लोकतंत्र है और इस मूल्यपरक लोकतंत्र को किसी और ने नहीं बल्कि भारत ने दिया है।
श्री गोरखनाथ मंदिर में 'सप्त दिवसीय पुण्यतिथि समारोह' के अंतर्गत आयोजित 'लोकतंत्र की जननी है भारत' विषयक व्याख्यान कार्यक्रम... https://t.co/UjG5bGfuYQ
— Shri Gorakhnath Mandir (@GorakhnathMndr) September 15, 2024
प्रजा का सुख ही राजा का दायित्व हैः योगी
सीएम योगी ने कहा कि ''भारतीय सभ्यता में हमेशा ही यह कह गया है कि प्रजा का सुख ही राजा का दायित्व है। रामायण काल में भगवान श्रीराम ने भी अक्षरशः जनता की आवाज को महत्व दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने भी खुद को कभी राजा नहीं समझा। उनके समय में वरिष्ठ व्यक्ति के नेतृत्व में गणपरिषद शासन का कार्य देखती थी। द्वारिका में जब अंतर्द्वंद्व प्रारंभ हुआ तब इस परिषद के सदस्य आपस में लड़कर मर-मिट गए। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने परिषद के सदस्यों की दुर्गति पर कहा था कि राज्य के नियम प्रत्येक नागरिक पर समान रूप से लागू होते हैं।''