मिशन 2024: यूपी फतह के लिए बिछने लगी सियासी बिसात, राजनीतिक दल चलने लगे अपनी चालें
punjabkesari.in Thursday, Jul 13, 2023 - 07:58 PM (IST)

लखनऊः मिशन-24 साधने को उत्तर प्रदेश में बिछी सियासी बिसात पर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी चालें चलनी शुरु कर दीं हैं। सपा इस बार नया दांव चलने की फिराक में हैं। भाजपा की नजर छोटी गोटियों के सहारे विपक्ष को पटखनी देने पर है। रालोद का सियासी घोड़ा ढाई घर चलने को तैयार है पर दिशा क्या होगी उसके साथी दल सपा को भी नहीं मालूम। रही बात बसपा की तो उसका राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बताएगा। हां, कांग्रेस अवश्य कुछ खोने से बेखौफ बहुत कुछ पाने का जुआं खेलने को लालायित है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उप्र. की सियासी नब्ज पकड़ने की चाहत में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी गोटियां चलनीं शुरु कर दीं हैं।
गठबंधन के लिए साथी तलाश रहे सभी दल
भाजपा, कांग्रेस और सपा जहां चुनाव पूर्व गठबंधन करने को साथी तलाश रहें हैं वहीं, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को लोकसभा की 12 सीटों की दरकार है। इन सीटों पर उसका सपा के साथ समझौता होता है तो ठीक वरना उसके लिए भाजपा के रास्ते भी खुले हैं। वहीं, सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनने को अपने पासे फेंक रखे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती की सियासी चाल फिलवक्त अन्य दलों की भी समझ से परे है। हालांकि, उसकी तेज होतीं गतिविधियां देख सभी चौकन्ना है। पार्टी की मंशा हताश कार्यकर्ताओं से नाता तोड़ एक नयी युवा टीम खड़ी. करने की है। यह कदम बसपा में एक आंतरिक सर्वे के आधार पर किया जाना है। इस सर्वे की मोटी रिपोर्ट यह है कि पार्टी के लिए जिस जमीनी' स्तर पर काम होना चाहिए नहीं, हो रहा । इसीलिए निरंतर संगठनात्मक बैठकें कर मायावती खासकर अपने पदाधिकारियों में दमखम भर रहीं हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती यूं ही संजीदा नहीं हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी पुराने कटु अनुभवों को दरकिनार कर उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से समझौता कर चुनाव लड़ा। परिणाम उनके लिए सुखद रहा। साल 2014 के मुकाबले शून्य पर रहने वाली बसपा को 10 सीटें मिल गई थीं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव को बसपा ने अपने बूते लड़ा और मात्र एक सीट ही हासिल हो सकी।
सभी दलों के एजेंडे में सर्वोपरि उत्तर प्रदेश
दरअसल, 80 लोकसभा सीट वाला उत्तर प्रदेश सभी दलों के एजेंडे में सर्वोपरि है। इसी एजेंडे को मनमुताबिक साधने में अखिलेश यादव का सिरददर्द उनके साथी जयंत चौधरी ने बढ़ा रखा है। रालोद ने 12 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारी का दावा ठोक दिया है। पार्टी ने इन सीटों पर अपनी तैयारियां भी शुरु कर दीं हैं। ऐसे में अखिलेश इस पशोपेश में हैं कि वे 12 लोकसभा सीटों पर रालोद से समझौता करें या दोस्ती तोड़ें। जयंत की मांग का फायदा उठा कर भाजपा अचूक पासा फेंक कर सपा को झटका भी दे सकती है।