काशी में 40 फीट ऊंचे रावण दहन की तैयारी, 1952 से चली आ रही परम्परा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 08, 2019 - 01:59 PM (IST)

काशी: उत्तर प्रदेश में धर्म और आध्यात्म की नगरी कहे जाने वाले काशी में भी विजयदशमी के पावन अवसर पर अधर्मी के नाश के लिए विशेष तैयारियां जोरों पर हैं। वाराणसी में सबसे पहले विशाल रावण दहन जो मलदहिया इलाके में विद्दापीठ के रावण दहन के नाम से मशहूर, रावण के पुतला दहन को लेकर तैयारी लगभग पूरी हो गई है। 3 पीढियों से रावण के पुतले को मुस्लिम समुदाय के तैयबअली और उनका परिवार तैयार कर रहे हैं। इनके 20 दिनों की मेहनत आज रंग लाने वाली है। 40 फीट के रावण में तमाम आतिशबाजी भी लगी हुई है। जो आग लगते ही जल उठेगी और तेज रोशनी और धमाकों की आवाजों के साथ रावण का अंत हो जाएगा। तैयबअली बताते हैं कि बुराई पर अच्छाई के पर्व का हिस्सा बनकर उनको भी अच्छा लगता है।
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इसको संपन्न करने के लिए सिर्फ खत्री और पंजाबी समाज के लोगों से ही सहयोग लिया जाता: तिलक राज कपूर- संस्थापक, समाज सेवा संघ
रावण दहन कार्यक्रम के आयोजक समाज सेवा संग के पादाधिकारियों की मानें तो यह रावण दहन का कार्यक्रम पिछले 7 दशकों से चला आ रहा है। काशी में सबसे पहले 1952 में रावण दहन कार्यक्रम आयोजक किया गया था। ऐसा तब से हो रहा है, जब से काशी में पंजाब से आकर पंजाबी बसे थे। उस वक्त बड़े आकार के रावण दहन की शुरूआत इसी रावण के पुतले से हुई थी। इसको संपन्न करने के लिए सिर्फ खत्री और पंजाबी समाज के लोगों से ही सहयोग लिया जाता है। इसको रायबरेली के मुस्लिम कारीगर तैयार करते हैं।

 

 


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Ajay kumar

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