उपचुनाव के रण से प्रियंका ने बनाई दूरी, नहीं करेंगी कांग्रेसी उम्मीदवारों के लिए प्रचार

punjabkesari.in Wednesday, Sep 25, 2019 - 12:17 PM (IST)

लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की हलचल के बीच कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उपचुनाव के रण से दूरी बना ली है और वह उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं करेंगी।
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ज्ञात हो कि, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई थी। प्रियंका ने भी इस जिम्मेदारी को निभाते हुए यूपी में जमकर प्रचार किया था। जिसके चलते अनुमान लगाया जा रहा था कि आने वाले समय में प्रियंका यूपी में पार्टी को दोबारा जिंदा करने की कोशिश करेंगी। अब विधानसभा उपचुनाव का मौका आया है, लेकिन अब तक मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका किसी भी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगी।
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BJP ने साधा निशाना
वहीं दूसरी तरफ, बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने प्रियंका गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी नहीं हैं। प्रियंका को यूपी उपचुनाव का परिणाम मालूम है। चुनाव में हार-जीत होती रहती है। उन्हें डरना नहीं चाहिए। अगर यूपी की प्रभारी हैं तो बूथ स्तर तक पहुंचना चाहिए। बता दें कि, 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे काफी अहम होंगे और इससे यह भी तय होगा कि साल 2022 में होने वाले चुनाव में बीजेपी के सामने कौन सी पार्टी मुख्य विपक्षी के रूप में होगी। 
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पिछले 30 साल से खस्ता है कांग्रेस की हालत
कांग्रेस ने बल्हा को छोड़ सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। उम्मीदवारों के नाम प्रियंका गांधी की सहमति से तय किए गए हैं। हालांकि, राज्य में कांग्रेस के संगठन का ढांचा पूरी तरह चरमराया हुआ है। राज बब्बर के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद अभी तक किसी की इस पद पर नियुक्ति नहीं की गई है। कांग्रेस की हालत उत्तर प्रदेश में पिछले 30 साल से खस्ता है। साल 1989 के बाद से कांग्रेस ने यहां सत्ता का मुंह नहीं देखा है। चुनाव दर चुनाव पार्टी की हालत राज्य में खराब होती जा रही है।
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मतदाताओं को पसंद नहीं आई राहुल-अखिलेश की दोस्ती
2014 के चुनाव में अमेठी और रायबरेली सीट जीतने वाली कांग्रेस 2019 के चुनाव में सिर्फ अध्यक्ष सोनिया गांधी की रायबरेली सीट ही जीत सकी। पार्टी अपनी परम्परागत सीट अमेठी भी हार गई। इसी तरह विधानसभा के साल 2017 में हुए चुनाव में पार्टी सपा के साथ गठबंधन के बावजूद मात्र 7 सीट ही जीत सकी थी। राहुल और अखिलेश की दोस्ती मतदाताओं को पसंद नहीं आई।


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Deepika Rajput

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