हाथरस मामला : उच्च न्यायालय में पेश हुआ पीड़ित परिवार, अगली तारीख दो नवंबर को

punjabkesari.in Monday, Oct 12, 2020 - 10:32 PM (IST)

लखनऊ, 12 अक्टूबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में हाथरस मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू हुई। अदालत ने प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए दो नवंबर की तारीख तय की है।

न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने दोपहर बाद मामले की सुनवाई शुरू की। इस दौरान पीड़ित परिवार अदालत में मौजूद रहा। इसके अलावा, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक एच.सी.अवस्थी, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के साथ-साथ हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण लक्षकार और पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल भी अदालत में हाजिर हुए।

हालांकि, पीठ ने कोई आदेश नहीं दिया और कहा कि आदेश को चैम्बर में लिखा जाएगा। बहरहाल, आदेश की प्रति देर रात तक उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर नहीं डाली गयी।
पीड़ित परिवार ने अदालत से कहा कि प्रशासन ने उनकी बेटी का शव उनकी मर्जी के बगैर देर रात जलवा दिया।
जिलाधिकारी लक्षकार ने अदालत से कहा कि कथित बलात्कार पीड़िता के शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर किया गया था और ऐसा करने के लिए जिला प्रशासन पर प्रदेश शासन का कोई दबाव नहीं था।
राज्य सरकार का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता वी.के. साही ने दलील देते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने बिल्कुल सही तरीके से काम किया।
हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा न्याय मित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ अधिवक्ता जे.एन. माथुर ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत सम्मानपूर्वक और अपनी धार्मिक रवायतों के हिसाब से अंतिम संस्कार हर नागरिक का अधिकार है।
आधी से ज्यादा सुनवाई हो चुकने पर अदालत ने पीड़ित परिजन से पूछा कि उनका कोई वकील यहां मौजूद है। तब उन्होंने अधिवक्ता सीमा कुशवाहा की तरफ इशारा किया।
सीमा ने अदालत से गुजारिश की कि मामले को सीबीआई के हवाले किया जाए और इसकी सुनवाई दिल्ली में हो।
अपर महाधिवक्ता वीके साही ने अदालत को बताया कि मामला पहले ही सीबीआई के सुपुर्द किया जा चुका है।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख दो नवंबर तय की।
साही ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा ''''हमने राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल किया है। पीड़ित परिवार के सदस्य अदालत में हाजिर हुए और पीठ ने उनसे सवाल किये। इसके अलावा गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून—व्यवस्था) और हाथरस के जिलाधिकारी से भी अदालत ने प्रश्न किये।'''' इस सवाल पर कि क्या अदालत ने मामले को लेकर प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जाहिर की, साही ने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
उन्होंने बताया कि सरकार ने अपना पक्ष रख दिया है और परिवार ने भी अपनी बात रखी है। अदालत अब अंतिम संस्कार के मामले में ही निर्णय करेगी।
इस बीच, पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने अदालत के बाहर संवाददाताओं को बताया कि परिवार की तीन मांगें हैं। पहली, परिवार को सुरक्षा मिले, दूसरी, मामले की दिल्ली या मुंबई में सुनवाई की जाए और तीसरी, जो भी जांच चले उसे सार्वजनिक न किया जाए।
सीमा ने बताया कि अदालत ने परिवार के हर सदस्य से बात की और उनसे पूछा कि आखिर उनके साथ और उनकी बेटी के साथ क्या हुआ था? अदालत ने जब लड़की के अंतिम संस्कार के बारे में पूछा तो परिजन ने अपनी बात रखी।
उन्होंने बताया कि अदालत ने सरकार से पूछा कि उसने अंतिम संस्कार करने में इतनी जल्दबाजी क्यों की? इस पर सरकार ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता को कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी।
सीमा ने कहा ''''हमारे पास सुबूत है कि उस वक्त मौके पर 50-60 ही ग्रामीण थे, जबकि पुलिसकर्मियों की संख्या 300-400 थी। क्या इतने पुलिसकर्मी 50 लोगों को नहीं संभाल सकते थे? जिले की सारी सीमाएं सील थीं, तब कानून—व्यवस्था को आखिर कैसे खतरा था? मगर इसके बावजूद प्रशासन ने बुरी नीयत से लड़की का अंतिम संस्कार करवा दिया। अदालत की मंशा यह जताने की थी कि संविधान में सभी को बराबर का हक दिया गया है और उनके अधिकारों की रक्षा करना सरकार का फर्ज है, ना कि उसका उल्लंघन करना।'''' इससे पहले, हाथरस मामले में जान गंवाने वाली 19 वर्षीय दलित लड़की के माता-पिता समेत पांच परिजन कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार सुबह छह बजे हाथरस से लखनऊ रवाना हुए और दोपहर बाद अदालत परिसर पहुंचे। इस दौरान अदालत परिसर के बाहर बहुस्तरीय सुरक्षा बंदोबस्त किये गये।
गौरतलब है कि गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र में 19 साल की एक दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार युवकों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था। इस घटना के बाद हालत खराब होने पर उसे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था जहां गत 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत एक अक्टूबर को हाथरस कांड का स्वत: संज्ञान लिया था और प्रदेश के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक हाथरस को घटना के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए 12 अक्टूबर को अदालत में तलब किया था।




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PTI News Agency

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