विवादों में आने बाद रामचरितमानस की बढ़ी बिक्री: गीता प्रेस ने कहा- डिमांड इतनी कि नहीं दे पा रहे सप्लाई
punjabkesari.in Friday, Jan 27, 2023 - 12:49 PM (IST)

गोरखपुरः इन दिनों रामचरितमानस काफी चर्चा में है। रामचरितमानस पर विवादित बयान देने के बाद सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य तमाम हिन्दू संगठन, संत और नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। खास बात ये है कि विवादों में आने बाद रामचरितमानस की डिमांड बढ़ गई है। इस पर गीता प्रेस गोरखपुर उत्पाद प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने बताया कि इस तरह के बयानबाजी के बाद धार्मिक ग्रंथों सहित रामचरितमानस की बिक्री में वृद्धि निश्चित रूप से हुई है। वह तो डिमांड की सप्लाई नहीं दे पाते। एक वर्ष में करीब 5 लाख रामचरितमानस की छपाई वह 9 भाषाओं में करते हैं।
विवादित बयान सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के अलावा कुछ नहीं- गीता प्रेस
वहीं रामचरितमानस पर दिए विवादित बयान को लेकर गीता प्रेस के प्रबंधन ने कहा कि ऐसे बयान सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के अलावा कुछ नहीं। ऐसा बयान देने से न तो बयान देने वाले का कोई फायदा होता है और न ही उसके राजनीतिक दल का। ऐसी बयानबाजी पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। इस तरह की बयानबाजी से नेता खुद अपना और अपनी पार्टी का ही नुकसान करते हैं। प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने बताया कि इस पुस्तक का महत्व इतना है कि ऐसी बयानबाजी के बाद पुस्तक की बिक्री में बढ़ोतरी हो जाती है। रामचरितमानस कंठाधार है। इसमें लोगों के प्राण बसता है। लोग स्नान, ध्यान, पूजा पाठ मे तो इसको महत्व देते ही हैं। लोगों के घरों में पूजा स्थलों पर यह प्रमुख धार्मिक पुस्तक के रूप में स्थान पाती है। अज्ञानी लोग सिर्फ टिप्पणी करना जानते हैं। ज्ञानी लोग इसे ढूंढ-ढूंढकर पढ़ते हैं। इसके भाव, शब्द, व्याकरण, व्याख्या में डूब जाना चाहते हैं।
रामचरितमानस की बिक्री में वृद्धि
इतना ही नहीं गीता प्रेस उत्पाद प्रबंधक डॉ. लाल मणि तिवारी ने कहा कि रामचरितमानस तो समाज को जोड़ने का ग्रंथ है, तोड़ने का नहीं, जो लोग इस तरह की बयान बाजी कर रहे हैं। मैं उनके विषय में ज्यादा कुछ तो नहीं कहना चाहता पर इतना जरूर कहूंगा कि यह सस्ती लोकप्रियता पाने और राजनीतिक बयानबाजी के सिवा कुछ नहीं है। मुझे यह भी पता नहीं कि ऐसी बयानबाजी से इन नेताओं को कोई लोकप्रियता मिलती है या नहीं, लेकिन यह जरूर कह सकता हूं कि ऐसी बयानबाजी के बाद लोग स्वयं का नुकसान तो करते ही हैं। वहीं अपनी पार्टी का भी. लाल मणि तिवारी कहते है कि इस तरह के बयानबाजी के बाद धार्मिक ग्रंथों सहित रामचरितमानस की बिक्री में वृद्धि निश्चित रूप से होती है। वह तो डिमांड की सप्लाई नहीं दे पाते। एक वर्ष में करीब 5 लाख रामचरितमानस की छपाई वह 9 भाषाओं में करते हैं।
'देश-विदेश तक रामचरितमानस पुस्तक की डिमांड'
विश्व में सबसे ज्यादा धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन करने वाले गीता प्रेस के प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने आगे बताया कि 'रामचरितमानस जैसा ग्रंथ जिससे सभी की आस्था जुड़ी हुई है। यह ऐसा ग्रंथ है, जिसमें सबसे बड़े त्याग का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ अटूट प्रेम, सौहार्द और मित्रता की भी मिसाल है, जहां श्रीराम प्रभु ने कोल, भीलों और सबरी को गले लगाया है। वहीं, निषादराज और श्रीराम प्रभु की मित्रता का सबसे बड़ा यह प्रमाण भी है। करोड़ों लोग घर घर में रामचरितमानस का पाठ करते हैं और उसे अपने घर के मंदिरों में रखते हैं। देश-विदेश तक इस पुस्तक की डिमांड है।
नेताओं ने क्या दिए विवादित बयान?
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा, 'मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं। रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं। यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं। एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोवलकर का बंच ऑफ थॉट, ये सभी देश को, समाज को नफरत में बांटते हैं। नफरत देश को कभी महान नहीं बनाएगी. देश को महान केवल मोहब्बत ही बनाएगी। आरजेडी ने खुद को इससे अलग करते हुए मंत्री के बयान को निजी बताया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान...
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।